Last Updated: Sunday, October 30, 2011, 13:54

भोपाल : देश के अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में लगातार तीसरे साल बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले प्रकाश में आए हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में न सिर्फ बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले हुए हैं बल्कि बच्चों पर अत्याचार के मामलों में भी लगातार दूसरे साल उसका पहला स्थान रहा है। भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज अपराधों की दर में इस साल भी मध्यप्रदेश का स्थान चौथा बना हुआ है। चिंता की बात यह है कि देश के 35 बड़े शहरों में दर्ज अपराधों में इंदौर दूसरे और भोपाल तीसरे स्थान पर है।
एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 में जनवरी से दिसंबर के बीच मध्यप्रदेश में 3135 महिलाएं बलात्कार का शिकार हुई जबकि महिला उत्पीड़न के 6646 मामले दर्ज हुए। देश में घटित ऐसी कुल आपराधिक वारदातों का यह क्रमश: 14.1 और 16.4 प्रतिशत है। महिलाओं पर हुए सभी तरह के अपराधों की बात करें तो त्रिपुरा (46.5 प्रति लाख) पहले नंबर पर है। इसी तरह बच्चों पर अत्याचार के दर्ज मामलों में मध्यप्रदेश 16.4 प्रतिशत के साथ पहले नंबर पर है। दिल्ली 13.6 और महाराष्ट्र 12.2 प्रतिशत लेकर दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। आईपीसी के तहत पूरे देश में दर्ज हुए करीब 45 लाख 25 हजार 917 अपराधों में से दो लाख 14 हजार 269 यानी 9.6 प्रतिशत मध्यप्रदेश में दर्ज हुए है।
आईपीसी के तहत अपराधों की दर केरल में 424.1 प्रति लाख सर्वाधिक है। केन्द्र शासित क्षेत्र पुडुचेरी 352.3 प्रति लाख के साथ नंबर दो पर है। चंडीगढ 299.8 प्रति लाख के साथ तीसरे नंबर पर है जबकि 297.2 प्रति लाख के साथ मध्यप्रदेश चौथे नंबर पर है। बिहार 131.1 प्रति लाख अपराध दर के साथ 26 वें नंबर पर और उप्र 87.5 के साथ 33 वें नंबर पर है। अन्य अपराधों में उत्तर प्रदेश 46.7 प्रतिशत पहले स्थान पर, आंध्र प्रदेश 13.9 प्रतिशत दूसरे और तमिलनाडु 11.4 प्रतिशत दर के साथ तीसरे नंबर पर है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट से साफ होता है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश पुलिस ही ऐसी है जो स्वप्रेरणा से मुकदमा दर्ज नहीं करती। पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में इस तरह से एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 30, 2011, 19:24