Last Updated: Thursday, March 1, 2012, 10:15
नई दिल्ली: विधानसभा में तीन मंत्रियों द्वारा अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो क्लिपिंग देखने का मुद्दा सामने आने से परेशान कर्नाटक सरकार सदन के भीतर निजी टेलीविजन चैनलों के कैमरों पर प्रतिबंध लगा सकती है। सरकार का कहना है कि वह संसद की मीडिया नीति जैसी व्यवस्था पर विचार कर रही है और इस संबंध में पीठासीन अधिकारियों को फैसला करना है।
मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने हालांकि कहा कि सरकार मीडिया को विधानसभा और विधानपरिषद में प्रवेश अथवा उसकी कवरेज से रोकेगी नहीं।
कर्नाटक भवन में गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमने कभी मीडिया की निजता में दखल नहीं दिया। हम संसदीय प्रणाली की तर्ज पर सोच रहे हैं। गौड़ा ने अपने प्रस्तावित संवाददाता सम्मेलन को अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया और इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि निजी चैनलों को सदन की कार्यवाही की कवरेज न करने देने का विचार नया नहीं है और अब विधानसभा अध्यक्ष एवं सभापति को इस संबंध में निर्णय करना है।
उन्होंने कहा, ‘ विधानसभा अध्यक्ष और विधानपरिषद के सभापति संसद का दौरा करेंगे। वे कई लोगों की राय लेंगे। चीजें अपने समय से होंगी। लेकिन मीडिया को विधानसभा में प्रवेश से रोका नहीं जाएगा।’ गौड़ा की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कांग्रेस इस प्रस्तावित कदम का विरोध कर रही है और उसका कहना है कि यह कदम भाजपा के फासीवादी रवैए का परिचायक है।
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी इस संबंध में कह चुके हैं, ‘संदेश पढ़ने की बजाय संदेशवाहक को गोली मार देने की भाजपा की जो प्रतिक्रिया है, ऐसे में उसके आगे के कदम के बारे में जानकर हैरान नहीं होना चाहिए।’ कर्नाटक सरकार के तीन मंत्रियों ने पोर्नगेट मामला सामने आने के एक दिन बाद आठ फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 1, 2012, 15:55