Last Updated: Wednesday, November 16, 2011, 10:46
लखनऊ : कांग्रेस पार्टी ने इलाहाबाद के फूलपुर में राहुल गांधी की रैली में सुरक्षा घेरा तोड़कर हेलीकाप्टर के पास पहुंच गए सपा प्रदर्शकारियों को जबरन रोकने के कदम का बचाव करते हुए इस मामले में इसके नेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने को राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया कदम बताया है।
इलाहाबाद के झूंसी थाने पर दर्ज प्राथमिकी में स्वयं भी नामित कांग्रेस विधान दल के नेता प्रमोद तिवारी ने बुधवार को यहां संवाददताओं से कहा कि सुरक्षा घेरे को तोड़कर आक्रमणकारी की तरह घुस आए युवकों से अपने नेता को बचाने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा उठाया गया कदम कानून की नजर में गलत नहीं है और दो केन्द्रीय मंत्रियों सहित कांग्रेसी नेताओं के विरुद्ध दर्ज की गई प्राथमिकी राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया कदम है।
तिवारी ने कहा कि उस समय यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं था कि जबरन सुरक्षा घेरा तोड़कर घुस आए युवकों का इरादा नुकसान पहुंचाना नहीं था। इसलिए हमारी चिंता राहुल गांधी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी थी।
उन्होंने कहा कि जहां तक मारने पीटने का प्रश्न है तो कानून में किसी व्यक्ति को अपनी आत्मरक्षा अथवा किसी अन्य व्यक्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग, हथियार प्रयोग का अधिकार है, तो मात्र शारीरिक बल का प्रयोग किया है। किसी प्राणघातक हथियार से हमला नहीं किया है। तिवारी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 7 सार्वजनिक स्थल पर तोडफोड करने वाले पर लगाई जाती है। मगर यह धारा सुरक्षा घेरा तोडने वालों पर लगाने की बजाय कांग्रेस नेताओ पर लगा दी गई, जिससे राजनीतिक बदले की भावना की पुष्टि होती है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश में आम आदमी के विरुद्ध भी प्राथमिकी उपर से निर्देश मिलने के बाद दर्ज होती हो वहां केंद्रीय मंत्रियों सहित कांग्रेसी नेताओं पर प्राथमिकी निश्चित रुप से सत्ता और सरकार में बैठे प्रभावशाली लोगों के इशारे पर दर्ज की गई लगती है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन को राहुल गांधी के कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी थी, मगर उनके सुरक्षा घेरे में चूक के लिए जिम्मेदार और घेरा तोड़ने वाले युवकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करके काग्रेस नेताओं के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 16, 2011, 18:16