Last Updated: Friday, September 14, 2012, 18:42

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी ‘मनमाने’ और ‘तुच्छ’ आधार पर की गई। अदालत ने कहा कि इसने असीम की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया।
अदालत ने यह भी कहा कि आजादी से पहले के इस कानून को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने की उसकी मंशा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समाज में नागरिकों को दी गई स्वतंत्रता का अतिक्रमण न हो।
कानपुर के रहने वाले कार्टूनिस्ट की गिरफ्तारी पर नाखुशी जताते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अमजद सैयद की पीठ ने कहा ‘‘आप कैसे तुच्छ आधार पर लोगों को गिरफ्तार कर सकते हैं। आपने एक कार्टूनिस्ट को गिरफ्तार किया और उसके बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया।’’ अदालत ने कार्टूनिस्ट को दो दिन पहले जमानत दी थी। त्रिवेदी को गत शनिवार को गिरफ्तार किया गया था और बढ़ते जनाक्रोश के बीच उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद उसे सोमवार को रिहा किया गया था।
अदालत ने कहा कि पहली नजर में त्रिवेदी की गिरफ्तारी ‘मनमाने तरीके’ से की गई कार्रवाई लगती है। अदालत ने कहा, ‘‘हमारे पास असीम त्रिवेदी हैं जो इतने साहसी थे कि उन्होंने अपनी आवाज उठाई और इसके खिलाफ खड़े हुए लेकिन उन कई लोगों की क्या स्थिति है जिनकी आवाज पुलिस बंद कर देती है।’’ पीठ अधिवक्ता संस्कार मराठे की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी अवैध, गैरकानूनी और न्यायोचित नहीं थी।
त्रिवेदी की गिरफ्तारी को लेकर आलोचना का सामना कर रही सरकार की तरफ से अतिरिक्त लोक अभियोजक जयेश याज्ञनिक ने अदालत को बताया कि मामले की जांच कर रहे पुलिस के संबंधित सहायक आयुक्त यह पता लगाने के लिए विधि विभाग के साथ बैठक कर रहे हैं कि क्या कार्टूनिस्ट के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया जा सकता है। अदालत ने त्रिवेदी को जनहित याचिका में प्रतिवादी भी बनाया है।
त्रिवेदी की ओर से अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर वह यह मामला खारिज करने के अनुरोध के साथ एक हलफनामा दाखिल करेंगे।
पुलिस ने त्रिवेदी को वेबसाइट पर कथित राजद्रोह संबंधी सामग्री पोस्ट करने और राष्ट्रीय प्रतीक तथा संसद का अपमान करने के आरोप में आठ सितंबर को गिरफ्तार किया था।
असीम त्रिवेदी को सोमवार को 24 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इसके बाद पुलिस ने कहा कि उसे त्रिवेदी को लंबे समय तक हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है लेकिन त्रिवेदी ने जमानत मांगने से इंकार कर दिया।
बहरहाल, उच्च न्यायालय ने उसे दो दिन बाद उसे जमानत दे दी।
त्रिवेदी की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे सहित राजनीतिज्ञों और कार्यकर्ताओं ने मुंबई पुलिस की आलोचना की थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 14, 2012, 18:42