Last Updated: Thursday, September 20, 2012, 20:16
नई दिल्ली : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने गुरुवार को कहा कि कावेरी जल बंटवारा मुद्दे पर प्रधानमंत्री का फैसला हमें स्वीकार नहीं है। हम न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। जयललिता ने यह भी कहा कि हमें कावेरी मुद्दे पर प्रधानमंत्री के साथ बैठक को लेकर पूरी तरह से निराशा हुई है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार द्वारा वॉकआउट किए जाने के चलते कावेरी नदी प्राधिकरण की बैठक में तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी विवाद नहीं सुलझ सका। दोनों राज्यों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस फैसले को मानने से भी इनकार कर दिया कि कर्नाटक अगले 25 दिनों तक तमिलनाडु के लिये प्रतिदिन नौ हजार क्यूसेक पानी छोड़े।
फैसले के विरोध में कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने यह कहते हुये वॉकआउट कर दिया कि कर्नाटक तमिलनाडु के लिये एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ेगा।
साथ ही तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि वह इस बैठक से बेहद निराश हैं और राज्य के पास उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का अलावा कोई विकल्प नहीं है। वहीं केंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री का फैसला दोनों राज्यों में फसलों को ध्यान में रखकर लिया गया। साथ ही दोनों ही राज्य अदालत में भी जा सकते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने निर्णय दिया कि कर्नाटक कल से अगले 25 दिनों तक हर रोज़ नौ हजार क्यूसेक पानी छोड़े।
जयललिता ने संवाददाताओं को बताया कि कर्नाटक दोनों मांगों को मानने के लिये राज़ी नहीं था और उसका कहना था कि किसी भी हालत में तमिलनाडु के लिये एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ेगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य में सूखे के हालात के चलते कर्नाटक पानी देने की स्थिति में नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 20, 2012, 20:16