Last Updated: Thursday, February 21, 2013, 08:55

चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने बुधवार को कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) द्वारा जारी गजट अधिसूचना को 22 साल से चले आ रहे संघर्ष का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, `यह मेरी और मेरी सरकार के लिए बड़ी जीत है।` अधिसूचना को अपने आने वाले जन्मदिन (24 फरवरी) का `जन्मदिवस उपहार` बताते हुए जयललिता ने कहा, "यह उनके 30 वर्षो के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी निजी उपलब्धि है।"
उन्होंने कहा कि राजनीति में 30 साल के अनुभव में पहली बार उन्हें `अपनी अपेक्षाएं और उपलब्धि पूरी` होने का अहसास हो रहा है।
जयललिता के अनुसार, राज्य ने स्थाई रूप से कावेरी जल का अधिकार सुरक्षित कर लिया है। यह उनकी और कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसानों की जिंदगी का सबसे बेहतरीन दिन है।
मीडिया को राजपत्र अधिसूचना की प्रतिलिपी दिखाते हुए जयललिता ने कहा कि यह अधिसूचना उनके 22 सालों के लंबे संघर्ष को चिह्नित करती है। इस संघर्ष की शुरुआत वर्ष 1991 में तब हुई थी, जब वे पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं।
जयललिता ने कहा कि 24 जून 1991 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के अगले दिन ट्रिब्यूनल ने अंतरिम आदेश जारी किया था, लेकिन कर्नाटक ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी थी। कर्नाटक सरकार ने ट्रिब्यूनल के इस अंतरिम आदेश को रद्द करने के लिए कानून भी पास किया था।
जयललिता ने कहा कि उनके आदेश पर ही तमिलनाडु ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक द्वारा पास कानून को रद्द कर दिया। जयललिता ने कहा, "अंतरिम आदेश के रास्ते में अगला रोड़ा केंद्र सरकार ने अटकाया। केंद्र सरकार अंतरिम आदेश को पूरा करने के प्रति अनिच्छुक थी।"
तमिलनाडु सरकार ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दिसंबर 1991 में अंतरिम आदेश राजपत्र में अधिसूचित किया गया।
जयललिता के अनुसार, पानी प्राप्त करने के लिए कर्नाटक के साथ लंबा संर्घष करना पड़ा। बाद में पानी निर्धारित फार्मूले के अनुसार नहीं छोड़ा गया।
कावेरी नदी से जल छोड़ने को लेकर 1993 में यहां किए गए चार दिन के अनशन को याद करते हुए जयललिता ने कहा कि अनशन के चौथे दिन जब केंद्रीय जल संसाधन मंत्री द्वारा पानी के बंटवारे को लेकर तंत्र स्थापित करने का आश्वासन उन्हें मिला तभी उन्होंने अनशन समाप्त किया था। उसके बाद, कावेरी नदी प्राधिकरण (सीआरए) और कावेरी निगरानी समिति (सीएमसी) की स्थापना हुई।
जयललिता ने कहा कि सीडब्ल्यूडीटी द्वारा जारी अंतिम अधिसूचना का पालन करने के लिए अब कर्नाटक बाध्य है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक को सामान्य और संकट के समय फार्मूले में अंकित आदेश के अनुसार पानी छोड़ना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 21, 2013, 08:55