Last Updated: Sunday, October 7, 2012, 19:37

बेंगलुरु : कावेरी नदी बेसिन इलाके में तमिलनाडु को पानी छोड़े जाने पर तीव्र विरोध आज आठवें दिन भी जारी रहा और कर्नाटक ने उम्मीद जताई कि 28 सितम्बर के फैसले के पुनर्विचार को लेकर उसकी याचिका पर सोमवार को होने वाले फैसले में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी। प्रदर्शनकारियों ने मंडया में आज भी भूख हड़ताल जारी रखी और मद्दुर गेजालागेरे में रास्ता रोका जिससे बेंगलुरु-मैसूर राजमार्ग पर यातायात बाधित रहा। मैसूर में जुलूस निकाले गए।
मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, कानून मंत्री एस. सुरेश कुमार और जल संसाधन मंत्री बी. बोम्मई ने दिल्ली में राज्य के कानूनी दल के साथ वार्ता की। कानूनी दल के प्रमुख फली एस. नरीमन हैं। हुबली, धारवाड़ एवं बेलगाम दौरे में शेट्टार ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे अच्छे (पक्ष में) फैसले (कर्नाटक के लिए) की उम्मीद है।’ शेट्टार ने कहा कि राज्य सरकार कर्नाटक में सूखे की स्थिति, किसानों को होने वाली कठिनाईयां और बेंगलुरु के लिए जरूरी पीने के पानी की स्थिति से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगी। कर्नाटक ने 28 सितम्बर के फैसले पर रोक लगाने या इसमें संशोधन करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितम्बर को निर्देश दिया कि कर्नाटक अपने पड़ोसी राज्य को 15 अक्तूबर तक कावेरी नदी प्राधिकरण के आदेशों के मुताबिक 9000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़े। कावेरी नदी प्राधिकरण के प्रमुख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं।
बहरहाल पूर्व मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य के हित में नहीं है तो सरकार को ‘साहसिक कदम’ उठाना चाहिए और इसके लिए सरकार को भी कुर्बान कर देना चाहिए। गौड़ा ने मंगलोर में कहा कि उन्होंने शेट्टार से कहा है कि अगर अदालत का फैसला राज्य के पक्ष में नहीं आता है तो उन्हें ‘अदालत की अवमानना’ का सामना करने ‘जेल जाने के लिए’ तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार को पद छोड़ने में भी नहीं हिचकना चाहिए। तमिलनाडु को पानी छोड़े जाने के खिलाफ राज्य में कल कन्नड़ संगठनों के आह्वान पर सुबह से शाम तक बंद का आह्वान किया गया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 7, 2012, 19:37