Last Updated: Saturday, February 2, 2013, 00:22

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने अरविंद केजरीवाल के उन आरोपों को निराधार बताया जिनमें कहा गया था कि दिल्ली बिजली नियामक आयोग को वह आदेश जारी करने से रोका गया था जिसमें बिजली की दरों में 23 फीसदी कटौती की बात की गयी थी।
केजरीवाल का आरोप है कि वर्ष 2010 में दिल्ली बिजली नियामक आयोग को वह आदेश जारी करने से रोका गया था जिसमें बिजली की दरों में 23 फीसदी कटौती की सिफारिश की गयी थी।
वहीं इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यालय ने कहा कि यह आरोप झूठ का पुलिंदा है। केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि बिजली वितरण कंपनियों ने अपने रिकार्ड में हेरफेर कर लगातार धोखाधड़ी की। कंपनियों ने लाभ कमाते हुये भी राजस्व में नुकसान दिखाया।
आम आदमी पार्टी के नेता का दावा है कि दिल्लीवासियों को जितना बिल अदा करना चाहिये वह उसका दोगुना बिल चुका रहे हैं।
साथ ही बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड ने एक संयुक्त बयान में कह कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं और निंदनीय हैं। इन आरोपों का वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है और यह सिर्फ निजी लाभ के लिये लगाये गये हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 2, 2013, 00:17