Last Updated: Thursday, May 17, 2012, 16:18
मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने शादी का दिलासा देकर किसी महिला को धोखा देने और उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी शख्स को आज अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि ‘कौमार्य को संपत्ति के रूप में नहीं माना जा सकता।’ मध्य रेलवे में कार्यरत 27 वर्षीय गिरीश म्हात्रे के खिलाफ एक महिला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद म्हात्रे ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति एएम थिप्से ने कहा, ‘प्रार्थी और फरियादी 2007 से एक रिश्ते में थे। 4 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की गई क्योंकि प्रार्थी ने किसी अन्य लड़की से शादी कर ली। फरियादी महिला रिश्ते में सहमति के साथ एक पक्ष थी। इसलिए जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता।’ न्यायमूर्ति थिप्से ने इस बात पर सवाल उठाया कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 420 में मामला क्यों दर्ज किया गया है जो किसी संपत्ति के लेन-देन में बेईमानी से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति थिप्से ने कहा, ‘एक अन्य हाईकोर्ट का फैसला कहता है कि कौमार्य संपत्ति है। लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। महिला शादी से पहले इस तरह के कृत्यों में संलिप्त होने से मना कर सकती थी।’ कोर्ट ने म्हात्रे को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी। म्हात्रे के मुताबिक उसके और फरियादी महिला के बीच 2007 से दोस्ती का रिश्ता था। हालांकि वह महिला और एक स्थानीय महिला संगठन की उसकी दोस्त उस पर शादी का दबाव बना रहे थे।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, May 17, 2012, 21:48