Last Updated: Thursday, January 24, 2013, 15:01
दिनेश सिंहसंगम (इलाहाबाद): आने वाले लोकसभा चुनाव के पहले ही देशभर में गंगा को निर्मल करने का एक सश्क्त अभियान गूंज रहा है। यूपी के इलाहाबद के महाकुंभ में चल रही तीन दिवसीय गंगा संसद के आख़िरी दिन पारित किये गए एजेंडे में इसे शामिल किया गया है ।
इस बार के प्रयाग के महाकुंभ में मां गंगा के प्रदूषण की चिंता के लिए साधु-संतो,वैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकताओं की तरफ से बुलाये गई गंगा संसद के आख़िरी दिन चार सूत्रीय एजेंडा तय किया गया जिसे लागू करने पर समाज के सभी वर्गों के सहयोग से लोकसभा चुनाव के पहले एक जन आंदोलन शुरू करेंगे ।
महाकुंभ में तीन दिन तक चली गंगा संसद में इसी लिए सबसे पहला यह प्रस्ताव पारित किया गया की ऐसी रणनीति बनाई जाय जिससे गंगा आनेवाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं को निर्मल जल मिल सके । संसद में दूसरा प्रस्ताव सरकार द्वारा गंगा पर बनाये जा रहे नए बांधों पर रोक लगाने को लेकर पारित किया गया ।
गंगा की जमीन का अतिक्रमण रोकना गंगा के वजूद को बनाये रखने से जुड़ा हुआ है जिसके लिए दर्जनों संत आमरण अनशन पर भी बैठे है । गंगा की इस चिंता को गंगा संसद के अन्दर भी शामिल किया गया और तीसरा प्रस्ताव पारित किया गया । आख़िरी प्रस्ताव यह पारित हुआ की गंगा की निर्मलता को वापस लाने के लिए सरकारी मशीनरी से ज्यादा जनता को इससे जोड़ा जाना होगा ।
गंगा संसद ने अपने तीन दिवसीय कार्यक्रम में अपना एजेंडा ही नहीं तय किया बल्कि इसे लागू करने की रणनीति भी बनाई है । गंगा संसद 2014 में देश के जिन पांच राज्यों में गंगा बहती है और लोगों को गंगा के किनारे खडा करने का एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा ताकी लोकसभा चुनाव के पहले गंगा की निर्मलता भी भारतीय मतदाता की पसंदीदा फेहरिस्त में शामिल हो सके ।
First Published: Thursday, January 24, 2013, 15:01