Last Updated: Monday, October 10, 2011, 13:54
अहमदाबाद : राज्यपाल की ओर से लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को विभाजित फैसला दिया, जिसमें एक जज ने इसे सही ठहराया तो दूसरे ने भिन्न विचार व्यक्त किए।
अदालत ने राज्यपाल कमला बेनीवाल की ओर से 25 अगस्त को न्यायाधीश आरएन मेहता को लोकायुक्त पद पर नियुक्त किए जाने को चुनौती देती राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश अकील कुरैशी ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि राज्यपाल ने मंत्रिमंडल की सलाह और सहायता के बिना काम किया। अपने आदेश में न्यायाधीश कुरैशी ने कहा कि लोकायुक्त का पद पिछले आठ साल से खाली पड़ा था तथा न्यायाधीश मेहता के नाम को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध था।
उन्होंने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश ने मेहता का नाम सुझाया तो मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल ने उनके नाम को खारिज कर दिया। दोनों के बीच गतिरोध था और ऐसी स्थिति में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का विचार सर्वोच्च है। न्यायाधीश कुरैशी ने कहा कि पिछले लोकायुक्त के वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त होने के बाद से सरकार ने 2006 तक विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू नहीं की और जब वर्ष 2006 में प्रक्रिया शुरू हुई भी तो वर्ष 2011 तक कोई नियुक्ति नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमारा यह दृष्टिकोण है कि मौजूदा सामाजिक-आर्थिक स्थिति में लोकायुक्त का पद एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और इसे लंबे समय तक खाली नहीं रहना चाहिए। लेकिन खंडपीठ में शामिल दूसरी न्यायाधीश सोनिया गोकानी ने कहा कि मैं अपने साथी जज से पूरी तरह सहमत नहीं हूं । उन्होंने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया लेकिन अदालत के दिनभर के लिए उठने के समय तक वह इसे पूरा नहीं कर पाईं। वह अपना बाकी का फैसला कल सुनाएंगी।
इस मामले के इतिहास में जाते हुए न्यायाधीश गोकानी ने कहा कि राज्य सरकार ने दो बार लोकायुक्त के खाली पद को भरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 2006 में सलाह मशविरे की प्रक्रिया शुरू की थी और मुख्य न्यायाधीश ने नामों की एक सूची भेजी थी। इस सूची में से न्यायाधीश केआर व्यास के नाम को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी और इसे राज्यपाल को भेज दिया गया जिन्होंने वर्ष 2009 में संबंधित फाइल को लौटा दिया। न्यायाधीश गोकानी ने कहा कि वर्ष 2010 में सरकार ने फिर से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपील की जिन्होंने न्यायाधीश जेआर वोरा के नाम को मंजूरी दी। इस नाम को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया लेकिन इसे भी नामंजूर कर दिया गया।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 11, 2011, 16:44