Last Updated: Wednesday, January 18, 2012, 06:34
ज़ी न्यूज ब्यूरोअहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने लोकायुक्त नियुक्ति का फैसला बहाल करते हुए मोदी सरकार को जोर का झटका दिया है।
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्यपाल द्वारा की गई लोकायुक्त की नियुक्ति को बरकरार रखा और इसे चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया। इस मामले में पहले एक खंडपीठ ने खंडित फैसला दिया था जिसके बाद न्यायमूर्ति वी.एम. सहाय को लोकायुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई का जिम्मा सौंपा गया था।
न्यायमूर्ति सहाय ने कहा, ‘मैं खंडपीठ की सदस्य न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी के उन बिंदुओं से सहमत नहीं हूं जिनमें उन्होंने मतभेद जाहिर किया है।’ उन्होंने व्यवस्था दी, ‘मैं अपने भाई न्यायाधीश अकील कुरैशी के विचारों से सहमत हूं।’ कुरैशी ने लोकायुक्त की नियुक्ति को ‘संवैधानिक’ बताते हुए इसे बरकरार रखने का फैसला दिया था। अदालत ने कहा, ‘इसलिए सरकार की याचिका खारिज की जाती है।’ गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति आर.ए. मेहता को पिछले साल 25 अगस्त को लोकायुक्त के पद पर नियुक्त किया था। यह पद पिछले आठ साल से रिक्त पड़ा था।
मुख्यमंत्री मोदी की अगुवाई में गुजरात सरकार ने राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति किए जाने का विरोध किया था और 26 अगस्त 2011 को हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। साथ ही राज्य सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ राजनीतिक अभियान भी छेड़ दिया था। इससे पहले 11 अक्तूबर को हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने नियुक्ति के मुद्दे पर खंडित फैसला दिया था। न्यायमूर्ति कुरैशी ने जहां राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा था वहीं न्यायमूर्ति गोकानी ने राज्यपाल द्वारा जारी नियुक्ति संबंधी आदेश को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसे रद्द कर दिया था।
गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने 25 अगस्त 2011 को जस्टिस आर.ए.मेहता को लोकायुक्त नियुक्त किया था। सरकार का कहना था कि राज्यपाल ने लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की सलाह नहीं ली थी। इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर राज्यपाल को वापस बुलाने तक की मांग की थी।
First Published: Thursday, January 19, 2012, 16:04