Last Updated: Friday, September 6, 2013, 00:22
अहमदाबाद : साल 2002 के गुजरात दंगों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल के वकील ने आज दावा किया कि निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए जाली सबूत गढ़े।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बी जे गणत्र के समक्ष यहां दलील देते हुए अधिवक्ता आर एस जमुआर ने कहा, ‘संजीव भट्ट ने दावा किया है कि उन्होंने फैक्स संदेशों के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय को दंगों के संबंध में सतर्क किया था लेकिन हमारी जांच में यह पाया गया कि उनमें से अनेक संदेश जाली थे।’ जमुआर ने कहा, ‘हमारा यह मानना है कि भट्ट, जो नौ साल बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आए थे, उनकी राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने के अलावा और कोई मंशा नहीं है।’
उन्होंने भट्ट द्वारा एसआईटी को सौंपे गए कुछ फैक्स संदेशों का हवाला देते हुए कहा, ‘इन संदेशों पर उनके तत्कालीन आला अधिकारियों जी सी रायगर और ओ पी माथुर के हस्ताक्षर हैं। लेकिन दोनों अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है कि ये उनके हस्ताक्षर हैं।’ जमुआर जकिया जाफरी द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दे रहे थे। जकिया ने साल 2002 के बाद हुए दंगों में कथित भूमिका के लिए मोदी और अन्य को क्लीन चिट देते हुए मामले को बंद करने के लिए एसआईटी की ओर से दायर रिपोर्ट को चुनौती दी है।
जकिया के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी। उन्होंने मोदी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की मांग की है। उच्चतम न्यायालय को उनकी मूल शिकायत में भट्ट का हवाला गवाह के तौर पर दिया गया है। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 6, 2013, 00:22