ग्लेशियर पिघलने से पहाड़ फिर से खतरे में

ग्लेशियर पिघलने से पहाड़ फिर से खतरे में

देहरादून : ग्लेशियर पिघलने से चमोली जिले के सतोपंथ में बनी झील बारिश की त्रासदी झेल रहे बद्रीनाथ, जोशीमठ और कर्णप्रयाग इलाकों के लिए खतरे की नई घंटी है। खतरे को देखते हुए प्रशासन को चेतावनी जारी करनी पड़ी है। इस बीच उत्तराखंड में बारिश का कहर अभी भी जारी है और आज नैनीताल जिले में भूस्खलन में छह लोग मारे गए।

चमोली के जिलाधिकारी एस.ए. मुरूगेसन ने कहा कि बद्रीनाथ से करीब 30 किलोमीटर दूर बनी इस झील से बद्रीनाथ मंदिर, जोशीमठ और कर्णप्रयाग सहित आसपास के इलाकों को खतरा हो सकता है। मुरूगेसन ने बताया, ‘राज्य आपदा प्रबंधन और शमन विभाग की ओर से इस संबंध में मिले निर्देशों के आधार पर हमने चेतावनी जारी कर दी है।’ उन्होंने बताया कि बाद में सेना और आईटीबीपी के एक संयुक्त दल ने ग्लेशियर से बनी झील का हवाई सर्वेक्षण किया और बताया कि इससे तुरंत घबराने की कोई बात नहीं है ।

जिला सूचना अधिकारी ने बताया कि नैनीताल जिले में भीमताल के निकट लोहरदंगा गांव में तड़के करीब साढ़े तीन बजे भारी वष्रा के कारण हुए भूस्खलन में पांच लोगों की मौत हो गई। चमोली, उत्तरकाशी और रूद्रप्रयाग जिलों में मौसम आज सामान्य रूप से साफ रहा और प्रभावित क्षेत्रों में हवाई राहत कार्य जारी हैं।

कुछ प्रभावित इलाकों के साथ सड़क संपर्क स्थापित होने और खराब मौसम के कारण पिछले कई दिनों से प्रभावित राहत कार्यों ने आज कुछ गति पकड़ी। अधिकारियों ने बताया कि हादसे में ज्यादातर गांवों की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी। उन्हें वैकल्पिक इंतजाम कर फिर से जोड़ दिया गया है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, July 11, 2013, 22:34

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