घाटी में लश्कर, जैश, हूजी के करीब 350 आतंकी मौजूद

घाटी में लश्कर, जैश, हूजी के करीब 350 आतंकी मौजूद

घाटी में लश्कर, जैश, हूजी के करीब 350 आतंकी मौजूदनई दिल्ली : केन्द्र का मानना है कि कश्मीर घाटी में लश्कर ए तय्यबा, जैश ए मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों के लगभग 350 आतंकवादी मौजूद हैं।

सरकारी सूत्रों ने भाषा से कहा कि ऐसा अनुमान है कि घाटी में लगभग 350 आतंकवादी होंगे। ये आतंकवादी लश्कर ए तय्यबा, जैश ए मुहम्मद, हूजी और हिजबुल मुजाहिदीन से संबंध रखते हैं। कुछ स्थानीय आतंकवादी भी हैं जो ‘ओवरग्राउण्ड कार्यकर्ताओं’ के समर्थन से कार्य कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक आतंकवादियों की सीमा पार से घुसपैठ को नियंत्रित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया गया है । इसमें सीमा प्रबंधन, नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ के परिवर्तनशील मार्गों’ पर सुरक्षाबलों की बहुस्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड लगाना, सुरक्षाबलों को अत्याधुनिक हथियार एवं उपकरण मुहैया कराना, बेहतर खुफिया सूचना आदि शामिल हैं ।

सूत्रों ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान से आये या वहां से सहायता प्राप्त आतंकवादियों की हिंसा और घुसपैठ के प्रयासों में कमी आयी है और कश्मीर घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी बढोतरी हुई है ।

उन्होंने हालांकि कहा कि इसके बावजूद सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचा ज्यों का त्यों बना हुआ है। सीमा पार से अब भी घुसपैठ के प्रयास हो रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि 2011 के दौरान घुसपैठ में 2010 की तुलना में काफी कमी आयी थी। अनुमानों के अनुसार 2010 में घुसपैठ के 489 प्रयास हुए जो 2011 में 49 प्रतिशत कम हो गये यानी 247 प्रयास हुए। 2012 में हालांकि घुसपैठ में 6 . 88 प्रतिशत की आंशिक बढोतरी हुई यानी घुसपैठ के 264 प्रयास किये गये।

उन्होंने बताया कि जहां तक आतंकी हिंसा का सवाल है, 2010 में आतंकवादियों के साथ मुठभेड में 69 सुरक्षा जवान शहीद हुए जबकि 47 नागरिक मारे गये। इन मुठभेडों में 232 आतंकवादी मारे गये। 2011 में 33 सुरक्षा जवान शहीद हुए, 31 आम नागरिक मारे गये और सुरक्षाबलों ने 100 आतंकियों को मार गिराया।

2012 में 15 सुरक्षा जवान शहीद हुए और 15 नागरिक मारे गये जबकि सुरक्षाबलों ने 72 आतंकवादियों को मार गिराया।
समिति ने मंत्रालय को सिफारिशों की पृष्ठभूमि में इस विषय पर विचार करने और अलगाववाद निरोधक अभियान से सेना को मुक्त करने को कहा है ताकि इन अभियानों में लगाये गए सैनिक नियमित कार्य भी कर सकें।

बुलेट प्रूफ जैकेट की कमी के बारे में समिति ने कहा कि वह सीमा के अंदर और सीमा पर छोटी लड़ाई के दौरान सैनिकों की जान बनाचे को लेकर चिंतित है। यह जानकर हम स्तब्ध है कि बुलेट प्रूफ जैकेट अभी भी खरीद की प्रकिया में हैं और इसे मंजूरी देने में चार वर्ष बर्बाद हो गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.86 लाख बुलेट प्रूफ जैकेटों की कमी है और सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 3.53 बुलेट प्रूफ जैकेट सैनिकों के लिए खरीद की मंजूरी दी है।

उन्होंने कहा कि हम मंत्रालय के लापरवाह रूख से निराश है और उम्मीद करते हैं कि जरूरत संबंधी सभी खरीद तेजी से की जाएं और सैनिकों के लिए हल्के जैकेट खरीदे जाएं। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 29, 2013, 17:40

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