चंबल में बढ़ रही विदेशी सैलानियों की संख्या

चंबल में बढ़ रही विदेशी सैलानियों की संख्या

चंबल में बढ़ रही विदेशी सैलानियों की संख्यामुरैना (मप्र) : बीहड़ और बंदूक के लिए बदनाम रही चंबल सफारी में अब शांति स्थापित होने के बाद से विदेशी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि पांच साल पहले शुरू हुई सफारी में साल दर साल विदेशी सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2012 में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक सफारी की सैर के लिए आए हैं।

वर्ष 2008-09 में चंबल नदी के राजघाट पुल के पास पर्यटन विभाग ने चंबल नदी पर चंबल सफारी की सैर पर जहां सिर्फ 1400 देशी पर्यटक और पांच विदेशी पर्यटक आए थे, वहीं वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक 421 विदेशी पर्यटक सफारी की सैर के लिए पहुंचे। इन पर्यटकों से सफारी ने दो लाख 53 हजार रुपए का आर्थिक लाभ भी कमाया।

वन विभाग के चंबल अभयारण्य में पदस्थ अधिकारी एस डी शर्मा ने कहा कि पिछले पांच सालों में विदेशी सैलानियों ने जिस तरह से चंबल सफारी में रुचि दिखाई है उस हिसाब से इस वर्ष 2013 में पर्यटकों की संख्या और अधिक बढ़ेगी। सफारी के बाद विदेशी पर्यटक सीधे देवरी ईको सेंटर में घड़ियालों और अन्य जलीय जीवों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।

वर्ष 2008-09 में यहां 1431 देशी और 26 विदेशी पर्यटक भ्रमण के लिए आए थे, वहीं पिछले साल यहां आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या 41 तक पहुंच गई। चालू सीजन में अब तक 72 विदेशी पर्यटक ईको सेंटर की सैर कर चुके हैं।
अधिकारी बताते हैं कि चंबल सफारी में विदेशी सैलानियों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफे का कारण चंबल का डकैत मुक्त हो जाना है। मुरैना पुलिस द्वारा चंबल की घाटी को डकैतविहीन कर दिया गया है। जैसे-जैसे यह बात देश भर में फैल रही है, वैसे-वैसे देशी विदेशी पर्यटक सुरक्षित हो चुकी चंबल घाटी में सफारी की सैर के लिए आ रहे हैं। उप वन मण्डलाधिकारी (डीएफओ) विंसेट रहीम के मुताबिक विदेशी सैलानी आगरा और भरतपुर के पर्यटक क्षेत्रों की सैर के बाद सीधे चंबल सफारी का रूख कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में सफारी घूमने आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या सबसे अधिक होती है।

उन्होंने कहा कि सफारी में साल दर साल विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। यह संख्या इस साल और बढ़ सकती है। लगभग 435 वर्ग किलोमीटर में फैले चंबल अभयारण्य में वर्ष 2012 में चंबल नदी में जलीय जीवों की हुई गणना में 905 घड़ियाल, 295 मगरमच्छ तथा 56 डालफिन्स दिखाई दी थीं। यह अभयारण्य विशेषकर घड़ियालों के लिए बनाया गया है। इसके अलावा यह उदबिलाव, जलमुर्गी तथा विशेष प्रजाति के कछुए तथा सैकड़ों की तादाद में प्रवासी पक्षियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

पिछले दिनों स्काटलैंड के जलीय जीव विशेषज्ञ राबर्ट बस्टर्ड ने इस अभयारण्य का भ्रमण किया तो वह घड़ियालों की बढ़ती संख्या को देखकर जहां बेहद प्रसन्न हुए, वहीं उन्होंने चंबल में मगरमच्छों की बढ़ती संख्या को घड़ियालों के लिए खतरनाक संकेत बताया।

उन्होंने कहा था कि घड़ियाल सीधासादा प्राणी होता है, वहीं मगरमच्छ बेहद खतरनाक। उन्होंने चंबल नदी में हो रहे रेत के अवैध उत्खनन को भी घड़ियालों के जीवन के लिए खतरनाक बताया था। घड़ियाल आम तौर पर नदी किनारे फैली रेत में ही अंडे रखते हैं। रेत निकाले जाने के कारण अंडे नष्ट होने से इनका प्रजनन नहीं हो पाता है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 24, 2013, 14:11

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