Last Updated: Friday, October 12, 2012, 19:02
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने आज 14 साल पुराने एक चेक बाउंस प्रकरण में अदालती कार्यवाही से बचने की कोशिश के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की जमानत याचिका खारिज कर दी।
गोपाल और उनके भाई गोविन्द का नाम चेक बाउंस प्रकरण में अदालत की कार्यवाही से बचने से संबंधित मामले में आरोपियों के रूप में शामिल है। इसकी सुनवाई यहां की पटियाला हाउस अदालत में मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट जसजीत कौर कर रही हैं। गोविन्द 31 अक्तूबर तक इस मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। इस बीच, रोहिणी अदालत में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट डीके जंगाला ने पूर्व विमान परिचारिका गीतिका शर्मा की खुदकुशी के मामले में पूर्व मंत्री की न्यायिक हिरासत 17 अक्तूबर तक बढ़ा दी। इस मामले में कांडा की सहयोगी अरुणा चड्ढा भी आरोपी है।
अरुणा द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के श्रीवास्तव के समक्ष दायर जमानत आवेदन पर सुनवाई 15 अक्तूबर तक टाल दी गई। गीतिका आत्महत्या मामले में दिल्ली पुलिस ने गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा के खिलाफ हाल में आरोप पत्र दायर किया था। पटियाला अदालत में कांडा के जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान उसकी पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने कहा कि उनका मुवक्किल इस मामले में एक महीने से अधिक समय से जेल में है और उसे चेक बाउंस मामले में हाल में यहां की एक अदालत ने बरी कर दिया था।
उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट ने गोपाल को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था क्योंकि वह चेक बाउंस मामले में अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए, लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस ने पूर्व मंत्री को सही ढंग से सम्मन नहीं दिया। गुप्ता ने कहा, ‘उनके (गोपाल) हरियाणा का मंत्री होने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने उन्हें उचित रूप से सम्मन नहीं पहुंचाया। मंत्री होने के चलते वह फरार नहीं हो सकते। वह सिर्फ इसलिए अदालत के समक्ष पेश नहीं हो पाए क्योंकि पुलिस उन्हें उचित रूप से सम्मन नहीं पहुंचा पाई।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, October 12, 2012, 19:02