Last Updated: Sunday, November 4, 2012, 13:10

भोपाल : बड़े शहरों में जन साधारण टिकट बुकिंग सेवक (जेटीबीएस) नियुक्त करने के बाद भारतीय रेल अब छोटे स्टेशनों पर स्टेशन बुकिंग सेवक (एसटीबीएस) नियुक्त करने की योजना पर काम कर रही है। भोपाल रेल मण्डल के एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि रेलवे बोर्ड के स्तर पर इसका खाका तैयार किया जा रहा है। इससे यात्रियों की टिकट लेने की दिक्कत खत्म हो जाएगी। बड़ी बात यह है कि यात्रियों को इसके बदले एक पैसा भी कमीशन नहीं देना होगा।
उन्होंने कहा कि ई-क्लास स्टेशनों पर अभी सहायक मास्टर टिकट बेचते हैं। ज्यादा टिकट बुकिंग होने पर बुकिंग क्लर्क नियुक्त किया जाता है। स्टेशन मास्टर को ट्रेन का संचालन करने के साथ ही टिकट भी बेचना पड़ता है। रेलवे की यूनियनें सालों से इसका विरोध करती रही हैं।
अधिकारी ने कहा कि अब रेलवे बोर्ड ने इसके लिए नई व्यवस्था शुरू करने का निर्णय किया है। इसमें पार्टी को स्टेशन पर ही एक कमरा और बिजली मुफ्त में दी जाएगी। स्टेशन टिकट बुकिंग सेवक को अपना कंप्यूटर एवं प्रिंटर रखना होगा। इस पार्टी को रेलवे को टिकट रोल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि टिकट बेचने के बदले स्टेशन टिकट बुकिंग सेवक को रेलवे छह से 15 फीसदी तक कमीशन देगी। हर महीने पचास हजार रुपये तक का टिकट बेचने पर पार्टी को 15 फीसदी कमीशन मिलेगा। पचास हजार से एक लाख के बीच टिकट बेचने पर 12 फीसदी व एक लाख रुपये से ज्यादा का टिकट बेचने पर उसे छह फीसदी कमीशन दिया जाएगा।
टिकट देने के लिए रेलवे एसटीबीएस को ‘कनेक्टिविटी’ भी देगी। इसमें यह पता चल सकेगा कि किस एसटीबीएस से एक दिन में कितने टिकट बेचे जा रहे हैं। टिकट बेचने से मिलने वाली राशि पार्टी को रोज रेलवे के पास जमा करना होगी। डीआरएम भोपाल के इस अधिकारी ने कहा कि पार्टी के लिए यह बंदिश भी रहेगी कि टिकट काउंटर चौबीस घंटे खुला रहे। इसकी वजह यह है कि रेलवे ने जनरल टिकट बुक करने की सुविधा अब तीन दिन तक कर दी है।
उन्होंने कहा कि ई-क्लास स्टेशनों पर रेलवे को अभी टिकट बेचने के लिए एक स्थाई कर्मचारी नियुक्त करना होता है। जहां टिकट बिक्री कम है वहां पर एएसएम और जहां ज्यादा है वहां बुकिंग क्लर्क तैनात किया जाता है। इससे रेलवे को घाटा होता है, इसलिए रेलवे ने कमीशन पर टिकट बेचने की योजना बनाई है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 4, 2012, 13:10