जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान इतालवी नर्तकी की पिटाई

जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान इतालवी नर्तकी की पिटाई

पुरी : इटली में जन्मी प्रसिद्ध ओड़िसी नृत्यांगना इलियाना सितारिस्ती ने आरोप लगाया कि भगवान जगन्नाथ के रथ पर सवार सेवकों ने उनकी पिटाई की क्योंकि उन्होंने भगवान का दर्शन करने के लिए धन देने से इंकार कर दिया। मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पढ़ी ने कहा कि सितारिस्ती ने मंदिर प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है।

मंदिर पुलिस के कमांडर ने कहा कि ‘बरकंडास’ को इस बात का पता लगाने को कहा गया है कि उस वक्त ‘नंदीघोष’ के दौरान रथ पर कौन सवार थे। ओड़िसी नृत्य को प्रोत्साहन देने में योगदान के लिए सितारिस्ती को ‘पद्मश्री’ से नवाजा गया था। उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप गलाया कि उन्होंने और उनकी शिष्याओं में से एक पुरोहित को 20-20 रुपये चंदा देकर रथ पर सवार हो गई थीं। जब उन्होंने भगवान जगन्नाथ के और करीब जाने का प्रयास किया तो एक सेवक ने वहां जाने की अनुमति देने के लिए उनसे एक-एक हजार रुपये मांगे। सितारिस्ती ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने धन देने से मना कर दिया तो एक सेवक ने उनसे र्दुव्‍यवहार किया और उनकी पिटाई की।

ओडिशा में बसी विदेशी नागरिक ने कहा, ‘सेवक के बर्ताव से मैं आश्चर्यचकित रह गई। उसने मेरे साथ र्दुव्‍यवहार किया और विदेशी-विदेशी कहकर मेरे सिर पर तीन बार मारा।’ पढ़ी ने कहा, ‘मंदिर प्रशासन मंदिर कमांड से कथित घटना के बारे में रिपोर्ट हासिल करने के बाद मामला राज्य पुलिस को भेजेगा।’ घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा, ‘किसी भी परिस्थिति में भक्तों का निरादर नहीं किया जाना चाहिए।’

घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दैतापाती नियोग के अध्यक्ष रामचंद्र दसमहापात्र ने कहा, ‘किसी भी भक्त को पीटने का हमें कोई अधिकार नहीं है। दैतापाती नियोग की तरफ से इस घृणित प्रकरण के लिए मैं माफी मांगता हूं।’ मंदिर की प्रथा के अनुसार विदेशियों को रथ- भगवान जगन्नाथ के ‘नंदीघोष’, भगवान बलभद्र के बड़े भाई ‘तलाध्वज’ और उनकी बहन देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ पर सवार होने की अनुमति नहीं दी जाती है, जब वे वाषिर्क रथयात्रा महोत्सव के दौरान 12 वीं सदी के मंदिर से बाहर रहते हैं।

उधर, भक्तों को उनकी जाति, संप्रदाय, धर्म और राष्ट्रीयता को परे रखकर सभी भक्तों को चढ़ने की अनुमति देने की मांग को मंदिर प्रशासन, पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव, पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती, मुक्ति मंडप पंडित सभा और दैतापाती नियोग के समक्ष उठाया गया था और उस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 21, 2013, 23:47

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