Last Updated: Wednesday, November 21, 2012, 15:22

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2001 के विधानसभा चुनाव में चार नामांकन पत्र दाखिल करने के मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बुधवार को निरस्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय से कहा कि वह अपने आदेश पर फिर से विचार करे।
न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की खंडपीठ ने अपने निर्णय में मद्रास उच्च न्यायालय से कहा कि अन्नाद्रमुक सुप्रीमो के खिलाफ मामले पर चार महीने के भीतर फिर से गौर किया जाये। जयललिता का आरोप था कि उच्च न्यायालय ने आपराधिक कार्यवाही का आदेश देते वक्त निर्वाचन अधिकारी की दो रिपोटरें पर विचार ही नहीं किया था।
न्यायालय ने जयललिता की अपील पर यह आदेश दिया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ने 2001 के विधान सभा चुनाव में चार नामांकन पत्र दाखिल करने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
इस चुनाव में जयललिता ने चार निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन पत्र दाखिल किये थे। तांसी भूमि घोटाला मामले में उन्हें सजा सुनाये जाने के कारण ये सभी नामांकन रद्द हो गये थे।
द्रमुक के पूर्व सांसद सी कुप्पास्वामी ने इस मामले में जयललिता के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने जून 2007 में निर्वाचन आयोग को जयललिता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था लेकिन जुलाई 2007 में उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से नामांकन पत्र दाखिल नहीं करने की जयललिता की घोषणा गलत थी और इससे जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33(7,बी) का उल्लंघन हुआ है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 21, 2012, 15:22