...जहां दुर्गा के रूप में पूजे जाते हैं महादेव

...जहां दुर्गा के रूप में पूजे जाते हैं महादेव

बांदा : नवरात्र पर मां दुर्गा को विभिन्न रूपों में पूजने का रिवाज आम है, लेकिन बांदा जनपद के बबेरू कस्बे में पीढ़ियों से लोग भगवान शिव को देवी काल विनासिनी दुर्गा के रूप में पूजते आ रहे हैं।

बुंदेलखंड के बांदा जनपद के बबेरू कस्बे में कमासिन रोड पर सदियों पुराना मढ़ी दाई मंदिर है, जहां मां दुर्गा की नहीं, बल्कि भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। लेकिन यहां लोग इस मूर्ति की पूजा भगवान शिव के रूप में नहीं, बल्कि मां दुर्गा के रूप में करते हैं और भगवान शिव का साज-श्रृंगार देवी दुर्गा के रूप में करते हैं। यहां किसी जीव की बलि नहीं चढ़ाई जाती।
कस्बे के निवासी संतोष वर्मा के अनुसार, बुजुर्गो का कहना है कि बहुत पहले मिट्टी के एक टीले में मढ़ी बनी थी, जिसमें भगवान शिव की त्रिमूर्ति थी। एक व्यापारी ने चंदा एकत्र करके मढ़ी को मंदिर का रूप दे दिया, लेकिन मूर्ति नहीं बदली गई।

अब भी मंदिर में किसी देवी की नहीं, बल्कि भगवान शिव की मिट्टी की मूर्ति ही विराजमान है, लेकिन उनकी पूजा देवी दुर्गा के रूप में की जाती है।

मढ़ी दाई मंदिर के पास रहने वाले और स्वयं को लंकेश रावण का वंशज मानने वाले ठाकुर छेदा सिंह के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि इस कस्बे में सिर्फ भगवान शिव की ही पूजा होती है, भले ही देवी के रूप में हो। वे खुद को रावण का वंशज मानते हैं। रामलीला मैदान के ठीक सामने ओरन रोड पर बने उनके मकान पर भी लंकेश भवन लिखा हुआ है। मकान के भीतर भारी भरकम शिव लिंग स्थापित है। यह परिवार भगवान शिव की पूजा तो करता है, लेकिन उसे रावण का विरोध बर्दाश्त नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 22, 2012, 15:56

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