Last Updated: Monday, January 7, 2013, 22:46

रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने सर्वसम्मति से अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का निर्णय किया है और अपने 18 विधायकों के समर्थन वापसी का पत्र वह कल राज्यपाल से मिलकर उन्हें सौंप देंगे।
लगातार आज दूसरे दिन झामुमो कार्यकारिणी और कोर समूह के बीच पूरे दिन चले मंथन के दौर के बाद देर शाम सवाददाताओं से पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन ने यह बात कही।
सोरेन ने कहा, ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। आज देर हो गयी है। इसलिए कल राज्यपाल से मिलकर समर्थन वापसी का पत्र उन्हें पार्टी सौंप देगी।’ शिबू सोरेन इसके अलावा और कोई टिप्पणी करते इससे पूर्व ही उन्हें उनके पुत्र और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया के सामने से उठा लिया और अपने साथ भीतरी कक्ष में लेते गए।
इससे पूर्व आज दोपहर झारखंड में भाजपा-झामुमो-आज्सू-जदयू गठबंधन की सरकार को बचाने के लिए अंतिम प्रयास के तौर पर मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से उनके आवास पर पहुंचकर मुलाकात की, जिसके बाद यह माना जा रहा था कि फिलहाल राज्य सरकार पर मंडरा रहा खतरा टल गया।
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा आज दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे मानव संसाधन विकास मंत्री वैद्यनाथ राम के साथ झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से मिलने उनके आवास पर पहुंचे, जहां उन्होंने शिबू और उनके बेटे और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बंद कमरे में लगभग 40 मिनट गुफ्तगूं की।
बातचीत के बाद मुख्यमंत्री बाहर प्रतीक्षारत मीडिया से बिना कोई बातचीत किए सीधे अपने आवास के लिए निकल गये। बाद में वैद्यनाथ राम भी मीडिया से मुखातिब हुए बिना वहां से चले गए।
इस बीच आज धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली से बातचीत में यह साफ कर दिया था कि भाजपा अपने सिद्धांतों और मूल्यों से कोई समझौता नहीं करेगी। अलबत्ता राज्य में गठबंधन सरकार जनहित में चलाते रहने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ने 25 दिसंबर को झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अपने विचार लिखित तौर पर तीन जनवरी को ही झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को भेज दिए थे।
इस बीच झामुमो की साठ सदस्यीय कार्यकारिणी और कोर समूह की संयुक्त बैठक आज पूरे दिन शिबू सोरेन के घर चली और गहमागहमी बनी रही।
दूसरी ओर, झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन इस बात से भी आहत थे कि उनके 28-28 माह के कार्यकाल के दावे को मुख्यमंत्री ने तीन जनवरी के अपने पत्र में लिखित तौर पर झुठला दिया था।
झामुमो ने अपने विधायक दल के नेता और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माध्यम से पत्र मुख्यमंत्री को भेजा था, जिसमें 28-28 माह के कार्यकाल के साथ छह अन्य मुद्दे उठाये थे।
इसमें राज्य के पांच सौ से अधिक मदरसों को सरकारी सहायता, स्थानीयता की नीति, झारखंड आंदोलनकारियों को दी जाने वाली राहत, विस्थापितों के लिए राहत एवं पुनर्वास नीति, नौ आदिवासी भाषाओं की स्थिति और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम (एसपीटीए) पर मुख्यमंत्री का अभिमत भी शामिल थे। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 7, 2013, 17:59