Last Updated: Monday, May 14, 2012, 14:37
मुंबई : दिल्ली स्थित व्यवसायी अरुण कुमार टिक्कू की हत्या के प्रमुख आरोपी को शरण देने के इलजाम में गिरफ्तार शेयर दलाल गौतम वोरा को राहत देते हुए बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को जमानत दे दी। वोरा को गत 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। सत्र न्यायालय ने जांच का काम प्रारंभिक स्थिति में होने की दलील देते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
वोरा पर धारा 212 (अपराधी को शरण देना), 202 (जानबूझकर जानकारी छिपाना) और 225 (अपराधी की कानूनन गिरफ्तारी में बाधा डालना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। न्यायमूर्ति एएम थिप्से ने हालांकि माना कि वोरा ने सिर्फ सह आरोपी को शरण भर दी और इस मामले में धारा 225 लागू नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया आवेदक :वोरा: के खिलाफ धारा 225 के तहत कोई मामला नहीं बनता। प्रतिरोध अथवा बाधा का कोई सवाल ही कहां है। बाकी दोनो धाराएं जमानती हैं इसलिए जमानत देने से मना नहीं किया जा सकता। अदालत ने 30 हजार रूपए के मुचलके पर वोरा को जमानत दे दी।
वोरा पर आरोप है कि उसने टिक्कू और उभरते हुए निर्माता करण कक्कड़ के दोहरे हत्याकांड में प्रमुख आरोपी विजय पलांडे की मदद की। पुलिस के अनुसार पलांडे 10 अप्रैल को गिरफ्तारी के फौरन बाद पुलिस की गिरफ्त से भागकर वोरा के पास पहुंचा और वोरा ने उसे दक्षिण मुंबई के एक होटल में रूकवाया और इस तरह उसके भोजन और रहने की व्यवस्था की। वोरा ने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके पलांडे के लिए कपड़े भी खरीदे। अपनी जमानत याचिका में वोरा ने कहा कि मामले में उसे गलत तरीके से फंसाया गया है।
उसका कहना है कि वह पलांडे की असली पहचान जानता ही नहीं था। उसका कहना है कि मुझे पलांडे से सिमरन सूद (हत्याओं में सह आरोपी) ने मिलवाया था और उसका नाम करण सूद बताया था। सिमरन ने दावा किया था कि करण उसका भाई है और मैंने उसका भरोसा कर लिया। वोरा ने दावा किया कि उसे उस समय यह नहीं पता था कि पलांडे पुलिस से भागा हुआ है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 14, 2012, 20:07