Last Updated: Thursday, July 26, 2012, 15:05
नई दिल्ली: कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एन डी तिवारी ने अपनी डीएनए रिपोर्ट कल खोले जाने के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की।
रोहित शेखर नामक एक युवक द्वारा तिवारी का जैविक पुत्र होने का दावा करने के बाद उसकी पितृत्व संबंधी याचिका पर फैसले के लिए एकल न्यायाधीश ने तिवारी की डीएनए रिपोर्ट कल उच्च न्यायालय में खोले जाने का आदेश दिया था।
अपील में 87 वर्षीय तिवारी ने अदालत से अपनी प्रतिष्ठा के अधिकार की रक्षा करने का आग्रह करते हुए तर्क दिया है कि एकल न्यायाधीश की पीठ ने याचिका पर फैसले के लिए छोटा रास्ता अपनाया है और इससे उनके साथ ‘‘गंभीर अन्याय होगा।
उन्होंने कहा ‘‘रोहित शेखर और उसकी मां सुनवाई पूरी हुए बिना मीडिया का ध्यान आकर्षित करने की खातिर रिपोर्ट को खोलने और उसे सार्वजनिक करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।’
इससे पहले, आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल तिवारी ने डीएनए रिपोर्ट को गोपनीय रखने और मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने के लिए एकल न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया था। आवेदन में कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय ने 24 मई को ऐसी व्यवस्था दी थी। डीएनए रिपोर्ट सार्वजनिक करने के विरोध में तिवारी का आग्रह एकल न्यायाधीश ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उच्चतम न्यायालय की गोपनीयता बनाए रखने संबंधी व्यवस्था डीएनए परीक्षण के लिए उनके रक्त का नमूना लेने तथा रिपोर्ट उच्च न्यायालय भेजने तक के लिए थी। यह व्यवस्था सुनवाई के लिए नहीं थी।
दिल्ली निवासी 32 वर्षीय रोहित शेखर ने तिवारी के आग्रह पर आपत्ति जताई है। वर्ष 2008 में पितृत्व याचिका दाखिल करने वाले रोहित शेखर का दावा है कि कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता उसके जैविक पिता हैं। तिवारी शेखर के दावे को नकारते हैं। उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को दिए अपने आदेश में तिवारी को डीएनए परीक्षण करवाने के लिए कहा और उन पर 25,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 26, 2012, 15:05