Last Updated: Saturday, September 14, 2013, 19:40

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव में शीर्ष चार में तीन पदों पर विजय हासिल कर कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) को भारी शिकस्त दी। इसे दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले काफी अहम समझा जा रहा है।
एनएसयूआई के हाथों से डूसू का नियंत्रण छीनने के बाद एबीवीपी ने इस जीत के लिए विद्यार्थियों के बीच नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को श्रेय दिया है। एबीवीपी ने इस प्रतिष्ठित छात्र निकाय के चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की छवि का भरपूर इस्तेमाल किया था।
एबीवीपी के उम्मीदवार अमन अवाना और उत्कर्ष चौधरी क्रमश: अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए जबकि राजू रावत (एवीबीपी) संयुक्त सचिव चुने गए। एनएसयूआई की करिश्मा ठाकुर सचिव चुनी गयीं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य चुनाव अधिकारी अशोक वोहरा ने बताया कि बुद्ध अध्ययन विभाग के छात्र अवाना को 17879 मत मिले जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार विशाल चौधरी के पक्ष में 16346 मत पड़े।
उपाध्यक्ष का पद जीतने वाले उत्कर्ष चौधरी को 14968 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी एनएसयूआई के कपिल शर्मा को 11275 मत मिले। राजू रावत के पक्ष में 14643 वोट पड़े जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कुशंक खारी ने 12355 मत ही मिले।
एनएसयूआई केवल एक ही पद जीत पाया। उसकी उम्मीदवार करिश्मा ठाकुर ने 14662 मत जीतकर एबीवीपी के अंशु लाकड़ा को हराया जिन्हें 11944 मत मिले।
पिछली बार एनएसयूआई ने चार में तीन पद जीते थे। संयुक्त सचिव पद एबीवीपी के खाते में गया था।
अवाना ने कहा कि एबीवीपी उम्मीदवारों ने मुख्यत: छात्रों के बीच मोदी की लोकप्रियता एवं एनएसयूआई के खिलाफ उनकी नाराजगी की वजह से डूसू का नियंत्रण छीना। उन्होंने कहा, ‘मोदी युवकों के लिए एक प्रेरणा हैं और हमारी जीत का काफी श्रेय उन्हें जाता है।’
एबीवीपी ने प्रचार अभियान के दौरान अपने पोस्टरों में मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। उसने अपने घोषणापत्र में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं बुनियादी ढांचे में सुधार का भी वादा किया था।
उधर एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि एबीवीपी ने बाहुबल एवं धनबल के कारण चुनाव जीता है। एनएसयूआई प्रवक्ता अमरीष रंजन पांडे ने कहा, ‘एबीवीपी ने अपनी गंदी राजनीति से विद्यार्थियों के बीच भय का माहौल पैदा किया। अवाना का आपराधिक रिकार्ड है और वर्ष 2011 में दयाल सिंह कॉलेज में एक छात्र की पिटाई को लेकर उनके खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले में प्राथमिकी दर्ज थी।’
रावत ने इस जीत को युवकों के समर्थन का संकेत बताया और कहा, ‘यह आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत की दिशा में पहला कदम है। हमने ऐसे मुद्दे उठाए जिनके विद्यार्थियों के लिए मायने थे और इस पर आधारित था कि हमारा गौरवशाली अतीत रहा है।’
इस बार चुनाव में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए 12-12, सचिव के लिए 17, और संयुक्त सचिव के लिए 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। शुक्रवार को मतदान हुआ था और 40 फीसदी वोट पड़े थे। चुनाव अभियान में महिलाओं की सुरक्षा और नये चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम जैसे मुद्दे छाये रहे थे।
यह चुनाव नतीजा नवंबर में होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 14, 2013, 15:10