Last Updated: Friday, January 18, 2013, 23:34
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिसकर्मी इस आधार पर शराब का सेवन नहीं कर सकते कि उनकी नौकरी बेहद तनाव वाली होती है। अदालत ने 2006 में बर्खास्त किए गए एक कांस्टेबल की याचिका पर फैसला करते हुए यह टिप्पणी की।
इस पुलिसकर्मी को अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद बर्खास्त किया गया था क्योंकि वह कुछ मानसिक परेशानियों का हवाला देकर काम से अनुपस्थित रहा था।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति वीणा वीरबल की पीठ ने कहा, ‘यह समझाने का कोई मानक नहीं है कि तनावपूर्ण काम होने को शराब पीने के लिए बचाव के तौर पर पेश किया जाए।’ इसके साथ ही अदालत ने कहा कि बख्रास्त पुलिसकर्मी को मिलने वाले ‘मुआवजे भत्ते’ को रोककर नहीं रखा जा सकता क्योंकि पेंशन को कोई ‘ईनाम’ नहीं बल्कि ‘कमाई’ माना जाता है।
मनोज कुमार बतौर कांस्टेबल सात दिसंबर, 1995 को दिल्ली पुलिस के साथ जुड़ा था। पुलिस का दावा है कि मनोज 2002 और 2003 में 40 दिनों तक अपनी मर्जी से ‘अनधिकृत’ रूप से अनुपस्थित हुआ था। इसके बाद उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद बर्खास्त किया गया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 18, 2013, 23:34