Last Updated: Wednesday, August 21, 2013, 20:43

मुंबई : अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के एक दिन बाद महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को काला जादू, अंध श्रद्धा और अंधविश्वास को खत्म करने संबंधी लंबे समय से लंबित विधेयक को अध्यादेश के जरिए लागू करने का फैसला किया। देश में यह अपनी तरह का पहला कानून होगा।
दाभोलकर अंधविश्वास, काला जादू और टोना के खिलाफ पिछले तीन दशकों से अभियान चला रहे थे। मंगलवार को पुणे में ओमकारेश्वर मंदिर के समीप मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। हत्या को लेकर राज्य भर में हंगामा खड़ा हो गया है।
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने ध्वनिमत से अध्यादेश लागू करने का निर्णय लिया। इससे संबंधित विधेयक 1995 में विधानसभा में पेश हुआ था। महाराष्ट्र अंध श्रद्धा उन्मूलन विधेयक करीब 29 बार संशोधित किया गया। उसे विधानसभा से पारित होना था। लेकिन कड़े विरोध के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो सका। विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हिंदू संगठनों ने इसे `हिंदू विरोधी` बताया है।
यह विधेयक सरकार को सामाजिक और धार्मिक बुराइयों, स्वयंभू भगवानों, तांत्रिकों और धूर्त लोगों द्वारा अनजान लोगों को बहुधा ठगने के लिए नर या पशु बलि, बुरी आत्माओं को खदेड़ने या पुत्र प्राप्ति के लिए अनुष्ठान को इस विधेयक के दायरे में लाने का अधिकार प्रदान करेगा। इस विधेयक पर वर्ष 2009 में विधानसभा में कई बार चर्चा हुई। इस वर्ष मानसून सत्र में इस विधेयक को फिर से पेश किए जाने की उम्मीद थी।
अब दाभोलकर की हत्या के खिलाफ राज्य भर में गुस्से को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे लागू करने के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने का फैसला किया है, क्योंकि विधानसभा का शीतकालीन सत्र मध्य दिसंबर में शुरू होगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 21, 2013, 20:43