दिनभर चलता है अभियान, रात में बनती है रणनीति

दिनभर चलता है अभियान, रात में बनती है रणनीति

दिनभर चलता है अभियान, रात में बनती है रणनीतिगोचर (उत्तराखंड) : भारतीय वायुसेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) बल उत्तराखंड में बाढ पीड़ितों के लिए दिन भर अथक राहत अभियान चलाने के बाद रात्रि भोज की मेज पर एक साथ बैठकर अगले दिन के लिए रणनीति बनाते हैं और मौसम के कारण उनके अभियान के दौरान आने वाली संभावित चुनौतियों पर चर्चा करते हैं। राहत अभियानों के लिए कई हेलीकॉप्टरों के संचालन के लिए यहां बड़ा और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक हेलीपैड बनाया गया है। इन एजेंसियों के अधिकारियों का एक बड़ा दल यहां ठहरा हुआ है।

आईटीबीपी बटालियन के यहां स्थित केंद्र में बल के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) अमित प्रसाद रात्रि भोज की मेज पर बैठने से ठीक पहले अपने कमांडेट और कनिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर पूरे दिन के अभियान की समीक्षा बैठक करते हैं। इसी कमरे में गढवाल के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) अमित कुमार सिन्हा अपने स्टाफ के साथ समीक्षा बैठक करते हैं।

सिन्हा ने कहा, हम पिछली रात जो रणनीति बनाते हैं, उसी से अगले दिन की शुरूआत होती है। बचाए गए लोगों के लिए परिवहन, इलाके में काम कर रहे अधिकारियों के लिए सुविधाओं समेत कई मामलों पर रात में निर्णय लिया जाता है क्योंकि अगले दिन जल्दी ही राहत कार्य शुरू हो जाता है।

अपने कर्नल रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में थलसेना के एक दल ने हेलीपैड के निकट ही एक शिविर बनाया है और यहां संचार, विमानन एवं चिकित्सा क्षेत्र की विभिन्न इकाइयों के जवान मिलकर आगामी दिन के लिए रणनीति बनाते हैं। भारतीय वायुसेना के एक कमांडर ने कहा, रात के भोजन से ठीक पहले हम अपने पायलटों को सबसे सुरक्षित मार्गों की जानकारी देते हैं जहां से जाकर वे राहत कार्य कर सकते हैं। सभी पायलट अन्य लोगों के लाभ के लिए अपने अच्छे एवं बुरे अनुभव बांटते हैं। राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल ने भी यहां एक संचार केंद्र स्थापित किया है।

अभियानों का समन्वय कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले सात दिनों से यहां ऐसा ही चल रहा है। हमारे पास बात करने और चर्चा करने के लिए बहुत सी बातें होती हैं। बचाव कार्यों में लगे जवान पूरे दिन अधिक बात नहीं कर सकते और इसलिए रात्रिभोज की मेज़ बात करने की मेज़ बन जाती है। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 24, 2013, 13:05

comments powered by Disqus