दिल्ली में नर्सरी दाखिला प्रक्रिया पर लटकी तलवार

दिल्ली में नर्सरी दाखिला प्रक्रिया पर लटकी तलवार

दिल्ली में नर्सरी दाखिला प्रक्रिया पर लटकी तलवारनई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को यह स्पष्ट किया कि एक जनहित याचिका पर आने वाले उसके निर्णय से शैक्षणिक सत्र 2013-14 के नर्सरी कक्षा के दाखिलों पर भी असर पडेगा। इस याचिका में सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसमें गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को अपने लिए अहर्ताएं तय करने का अधिकार दिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश डी मुरूगेसन और न्यायमूर्ति वी के जैन की पीठ ने कहा, ‘हमारा आदेश (जनहित याचिका के बारे में) आगामी शैक्षणिक सत्र 2013 के नर्सरी दाखिलों पर भी लागू होगा।’

अदालत की यह टिप्पणी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका में मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी दो अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन दो अधिसूचनाओं में ‘सभी गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को बच्चों का वर्गीकरण कर नर्सरी दाखिले के लिए अपने लिए खुद अहर्ताएं तय करने की खुली छूट प्रदान कर दी गई है।’

बहरहाल, इसमें कहा गया कि दाखिले के मामले में स्कूलों द्वारा बच्चों के वर्गीकरण पर शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार एवं अनिवार्य शिक्षा कानून में स्पष्ट तौर पर रोक लगायी गई है। उन्होंने कहा कि कुछ स्कूल धर्म, भाई बहन, पूर्व छात्रों के आधार पर दाखिले में प्राथमिकता देते हैं।

अदालत ने कहा,‘आप (शिक्षा निदेशालय) बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों को कमतर नहीं कर सकते। उन्हें (स्कूलों) दाखिले के लिए अपनी अहर्ताएं तय करनी की इजाजत देकर आप एक बच्चे की तुलना में दूसरे को प्राथकिता दे रहे हैं जो कानून के अनुसार गलत है।’

आदेश में कहा गया,‘हमें अधिसूचनाओं की जांच करनी होगी तथा यह देखना होगा कि ऐसे अधिकार स्कूलों को कैसे प्रदान किए जा सकते हैं। यदि आप स्कूलों को छूट दे रहे हैं तो कानून का सारा मकसद ही खत्म हो जाएगा।’

बहरहाल, निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की एसोएिशन की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा कि स्कूलों को समुचित दाखिला अहर्ता तय करने की इजाजत दी जानी चाहिए।

अदालत मंगलवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी।

इससे पूर्व एनजीओ के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में कानून पर फैसला हो जाना चाहिए। वह नहीं चाहते हैं कि अदालत के आदेश से मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए चल रही वर्तमान दाखिला प्रक्रिया पर कोई असर पड़े क्योंकि सभी बच्चे एकसमान एवं मासूम होते हैं।

अदालत ने कहा,‘दिल्ली सरकार की ओर से शिक्षा निदेशालय द्वारा 15 दिसंबर 2010 को जारी अधिसूचना को यदि हमने निरस्त करने का निर्णय किया तो पूरी मौजूदा नर्सरी दाखिल प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।’

एनजीओ ने आरोप लगाया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 23 दिसंबर 2010 को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत दिशानिर्देश जारी किए थे जिसमें स्कूलों को दाखिले के लिए अपनी अहर्ताएं तय करने की इजाजत दी गई थी।

जनहित याचिका में कहा गया कि बाद में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने भी इसी तर्ज पर दिशानिर्देश जारी कर दिए। (एजेंसी)

First Published: Monday, January 28, 2013, 23:15

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