‘दिल्ली में हर दिन औसतन 14 बच्चे हो जाते हैं लापता’

‘दिल्ली में हर दिन औसतन 14 बच्चे हो जाते हैं लापता’

नई दिल्ली : साबरा शेख की 10 साल की बेटी अतिका को लापता हुए छह साल हो गए है और घर वाले अब भी उसके लौटने की उम्मीद लगाए हैं।

अतिका 13 अप्रैल 2008 को शौच के लिए बाहर गयी थी। इसके बाद वह नहीं लौटी। उसके परिवार के लोगों ने उसकी तलाश शुरू की। बच्ची के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने पर घरवाले शिकायत दर्ज कराने थाने गए।

जहांगीर पुरी निवासी साबरा ने आरोप लगाया, ‘थाने में अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए 500 रुपए लिए। उसकी प्रति देने के लिए भी अधिकारी ने कुछ और पैसे लिए।’

साबरा ने कहा, ‘हम जब भी थाना जाते हैं, वे लोग कहते हैं कि बच्ची की तलाश की जा रही है। लेकिन आज तक कोई प्रगति नहीं हुयी। पिछली बार हमें फैजाबाद में प्रतापगढ़ में एक परिचित से कुछ जानकारी मिली। लेकिन पुलिस ने वहां जाने के लिए खर्च देने को कहा। हम गरीब लोग हैं, हम कहां से पैसे दे सकते हैं?’

दुखी साबरा पांच साल की अपनी दूसरी बेटी नुसरत को एक पल के लिए भी आंखों से ओझल नहीं होने देती।

साबरा की तरह कई और ऐसे अभिभावक आज गैर सरकारी संगठन चाइल्ड रिलीफ एंड यू (सीआरवाई) द्वारा आयोजित सुनवाई में शामिल हुए जिनके बच्चे लापता हैं।

सीआरवाई और एलायंस फार पीपुल्स राइट (एपीआर) के एक आरटीआई आवेदन पर मिले जवाब के अनुसार दिल्ली में 2012 में 4,086 बच्चे लापता हो गए। वर्ष 2011 में 5,004 बच्चे लापता हुए थे जबकि 2010 में यह संख्या 2,161 थी।

सीआरवाई के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन औसतन 14 बच्चे लापता हो जाते हैं। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 16, 2013, 19:22

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