Last Updated: Wednesday, May 8, 2013, 17:26
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया। जनहित याचिका में विश्वविद्यालय के मौजूदा स्वरूप में प्रस्तावित विभिन्न उपाधियों के साथ चार वर्षीय अंतरस्नातक पाठ्यक्रम को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने विश्वविद्यालय से 15 मई तक जवाब मांगा है।
याची एनजीओ संभावना की ओर से पेश वकील पंकज सिन्हा ने अदालत से कहा कि यदि मौजूदा स्वरूप में प्रस्तावित पाठ्यक्रम शुरू किया जाता है तो यह क्षीण दृष्टि वाले छात्रों को भरपाई न होने वाला नुकसान पहुंचाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय इसी वर्ष जुलाई से शुरू हो रहे अगले शैक्षणिक सत्र से चार वर्षीय अंतरस्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है।
अशक्त छात्रों के लिए काम करने वाली संस्था संभावना ने कहा है, `यदि मौजूदा स्वरूप में विभिन्न उपाधियों वाला चार वर्षीय अंतरस्नातक कार्यक्रम शुरू किया जाता है तो दृष्टिहीन छात्रों को भरपाई न होने योग्य नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि ऐसे छात्र मुख्यधारा की शिक्षा पद्धति में हिस्सा लेने के लायक नहीं रह जाएंगे।`
एनजीओ ने कहा, `क्षीण दृष्टि वाले छात्रों को अभी कक्षा 8 के बाद कुछ मामलों में और कक्षा 10 के बाद अधिकांश मामलों में विज्ञान एवं गणित की पढ़ाई करने से छूट मिली हुई है।` याचिका में कहा गया है, `मौजूदा स्वीकृत कार्यकम लागू किए जाने की दशा में ऐसे छात्र चार वर्षीय अंतरस्नातक कार्यक्रम के पहले वर्ष के आधार पाठ्यक्रम की जरूरत को पूरा नहीं कर पाएंगे। पहले वर्ष में गणित योग्यता निर्माण एवं विज्ञान एवं जीवन समेत 11 पाठ्यक्रम शामिल होंगे।`
याचिका में कहा गया है, दिल्ली विवि में हर वर्ष बड़ी संख्या में दुर्बल दृष्टि के छात्र नामांकन कराते हैं। चार वर्षीय कार्यक्रम में ऐसे छात्रों का ध्यान नहीं रखा गया है। यह भेदभावकारी, पक्षपाती और गैरकानूनी है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 8, 2013, 17:26