Last Updated: Thursday, August 29, 2013, 22:33
नई दिल्ली : राजधानी में 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड के आरोपियों में से दो ने गुरुवार को यहां एक अदालत में पीड़िता द्वारा मृत्यु से पूर्व दिए गए उन बयान की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया, जिस पर दिल्ली पुलिस ने भरोसा किया है। दोनों ने कहा कि लड़की की मौत के बाद जांच एजेंसी ने (उसके नाम पर) यह बयान तैयार किया है।
विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के वकील ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना की अदालत में अपनी अंतिम बहस के दौरान दावा किया कि छह आरोपी एक विशेष रणनीति के तहत गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा ने तो एसडीएम के समक्ष कोई बयान ही नहीं दिया था क्योंकि उसकी तो 21 दिसंबर, 2012 को ही मृत्यु हो गई थी। वकील ने कहा कि लड़की के बयान को लेकर सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) उषा चतुर्वेदी द्वारा दर्ज करने को लेकर दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार में रस्साकस्सी भी हुई।
उन्होंने दावा किया कि इस न्यायिक अधिकारी ने पीड़िता के झूठे बयान को मंजूरी देने से मना कर दिया क्योंकि यह बयान तो पुलिस ने तैयार किया था और लड़की तो पहले ही मर चुकी थी। विनय और अक्षय के वकील एपी सिंह ने अपनी बहस के दूसरे दिन कहा कि पीड़िता 21 दिसंबर, 2012 को मर गई। पुलिस ने ऐसी कोई तस्वीर नहीं रखी है जिसमें उसकी आंखें दिख रही हो। फोटो में किसी भी व्यक्ति की आंखे देखकर अदालत यह पता कर सकती है कि वह मरा है या जिंदा। इस विशेष तथ्य को छिपाने के लिए पुलिस ने रिकार्ड में ऐसा कोई फोटोग्राफ रखा ही नहीं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 29, 2013, 22:33