Last Updated: Tuesday, June 26, 2012, 21:14

मुंबई: केन्द्रीय मंत्री विलास राव देशमुख ने मंगलावर को आदर्श घोटाले का ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के सिर फोड़ने की कोशिश करते नजर आए, जब उन्होंने आज मामले की जांच कर रहे न्यायिक पैनल को बताया कि राजस्व विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ही सोसायटी को जमीन आवंटित की गई।
देशमुख के पहले कार्यकाल के समय अशोक चव्हाण राजस्व मंत्री थे, जब कोलाबा में विवादित हाउसिंग सोसायटी के लिए जमीन आवंटित की गई थी।
पैनल के सामने गवाह के तौर पर बयान देते हुए देशमुख ने कहा, ‘जब सरकारी जमीन के आवंटन की मांग करती कोई फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में जमा कराई जाती है तो मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव देखते हैं कि प्रस्ताव को राजस्व मंत्री ने मंजूरी दी है या नहीं। अगर उसे मंजूरी मिली होती है और राजस्व मंत्री एवं अन्य अधिकारियों के बीच कोई मतभेद नहीं होता तो सचिव इस बारे में मुख्यमंत्री को सूचित करता है और स्वीकृति दे दी जाती है।’
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने उनकी गवाही के दौरान पूछे गए कई सवालों पर अनभिज्ञता जताई और कहा कि राजस्व विभाग ने उन्हें यह नहीं बताया कि जहां इमारत बनेगी वह जमीन स्थानीय सैन्य प्राधिकार की है और वहां एक गार्डन था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर देशमुख का कार्यकाल अक्तूबर 1999 से जनवरी 2003 और उसके बाद नवंबर 2004 से दिसंबर 2008 के बीच रहा। उन्होंने आदर्श सोसायटी को सरकारी भूमि आवंटित किए जाने संबंधी आदेश पत्र जारी किया था और एक अधिसूचना जारी कर दक्षिण मुंबई में स्थित इस भव्य इमारत के बाहर से गुजरने वाले कैप्टन प्रकाश पेथे मार्ग की चौड़ाई कम करने का निर्देश दिया था।
मंत्री ने कहा कि शहरी विकास विभाग के सचिव ने उन्हें नहीं बताया था कि 10 अप्रैल 2002 की अधिसूचना के जरिए कैप्टन पेथे मार्ग की चौड़ाई कम करने को लेकर आपत्ति उठाई गई थी।
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं बताया गया था कि एमएसआरडीसी ने अधिसूचना पर आपत्ति उठाई है। शहरी विकास सचिव ने यह भी नहीं बताया कि सोसायटी ने विवादित भूमि पर फरवरी 2001 से ही कब्जा होने का दावा किया है। सोसायटी के प्रोमोटर्स में से एक और कांग्रेस पाषर्द कन्हैया लाल गिडवानी ने देशमुख को लिखे एक पत्र में कहा कि उस भूमि पर 2001 से ही सोसायटी का कब्जा है।
देशमुख ने कहा कि वह वर्ष 2000 में आदर्श मामले से दो चार हुए जब उन्हें सोसायटी से जमीन के आवंटन के बारे में पत्र मिला। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पत्र पर टिप्पणी लिखी और कहा कि इसे तुरंत राजस्व विभाग के सुपुर्द किया जाए, उसके बाद मैंने यह नहीं देखा कि राजस्व विभाग ने उसपर क्या कार्यवाही की।
देशमुख ने कहा कि गिडवानी ने आदर्श सोसायटी के संदर्भ में उन्हें कई पत्र लिखे अथवा उनसे मिले। उन्होंने कहा, ‘एक पाषर्द के नाते गिडवानी की मुख्यमंत्री तक पहुंच आसान थी। उन्होंने मुझे बताया कि सोसायटी सेना के अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए है।’ देशमुख का यह बयान केन्द्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे के घोटाले से हाथ धोने की कोशिश के बाद आया है। शिंदे ने कहा था कि सरकारी जमीन के आवंटन और हाउसिंग सोसायटी को अतिरिक्त एफएसआई देने का फैसला देशमुख के मुख्यमंत्री काल में किया गया था।
शिंदे और देशमुख ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने अपने कार्यकाल के दौरान विवादास्पद सोसायटी से जुड़ी फाइलें निपटाईं।
शिंदे ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पैनल को बताया था, ‘आदर्श सोसायटी को जमीन देने का फैसला मुख्यमंत्री के तौर पर मेरे पदभार संभालने से पहले ही हो चुका था। आदर्श के पक्ष में आदेश पत्र 18 जनवरी 2003 को जारी किया गया, जब विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे। यह मेरे निर्देश पर जारी नहीं किया गया और न ही कभी मेरी जानकारी में लाया गया।
आयोग पहले ही इस नतीजे पर पहुंच चुका है कि जमीन रक्षा मंत्रालय की न होकर राज्य सरकार की थी। अब यह इस बात की जांच कर रहा है कि सोसायटी को जमीन देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ या नहीं। अपने बड़े पुत्र अमित के साथ गवाही देने पहुंचे देशमुख का बयान कल भी जारी रहेगा। चव्हाण को 30 जून को न्यायिक आयोग के सामने पेश होना है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 26, 2012, 21:14