Last Updated: Thursday, June 27, 2013, 20:23
ज़ी मीडिया ब्यूरोदेहरादून: उत्तराखंड में कुदरत की विनाशलीला के पीछे अब एक नई बात कही जा रही है। यह कहा जा रहा है कि जल प्रलय की यह विनाशलीला धारी देवी की प्रतिमा हटाने की वजह से हुआ है। दरअसल भक्तों और कुछ संतों का तर्क है 16 जून को धारी देवी की मूर्ति को हटाया गया था और 16 जून को ही जलप्रलय हुआ जो निश्चित रुप से धारी देवी का ही प्रकोप है। भक्तों का मानना है कि अगर धारी देवी की प्रतिमा को नहीं हटाया गया होता तो यह हादसा नहीं होता। दरअसल धारी देवी इस क्षेत्र की कुलदेवी हैं जिन्हें गांव के लोग सदियों से पूजते आए हैं।
धारी देवी का मंदिर मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव में है। 16 जून को जब मंदाकिनी नदी में बाढ़ आना शुरू हुई तो मंदिर कमिटी ने धारी देवी की प्रतिमा बचाने के लिए तुरंत एक्शन लिया। इन खबरों के बीच कि रात तक बहुत तेज बारिश होने वाली है तो धारी देवी की प्रतिमा को हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था और उन्हें हटा दिया गया। लेकिन पुजारी और गांव के कुछ लोग ऐसा करने के खिलाफ थे।
स्थानीय लोगों में यह पौराणिक मान्यता है कि पिछले 800 साल से धारी देवी अलकनंदा नदी के बीच बैठकर नदी की धार को काबू में रखती थीं। 16 जून को स्थानीय लोगों के विरोध और हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ धारी देवी का मंदिर नदी के बीच से हटाकर ऊपर सुरक्षित जगह पर लाया गया। 16 जून की शाम यानि तकरीबन उसी वक्त जब केदारनाथ में बादल फटा। अब स्थानीय लोगों का मानना है कि इस जल प्रलय के पीछे धारी देवी मंदिर की मूर्ति को हटाया जाना है। विज्ञान इस विनाशलीला के पीछे कुदरत के कहर को मानता है जबकि यहां के लोग इस विनाशलीला के पीछे धारी देवी की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ को बता रहे हैं।
First Published: Thursday, June 27, 2013, 20:23