Last Updated: Tuesday, June 19, 2012, 23:04
पटना : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सेकुलर छवि के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार की शर्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से रखे जाने के मुद्दे पर आज सत्तारुढ राजग के दोनों घटकों भाजपा तथा जदयू में खलबली मची रही। मुख्यमंत्री के बयान के विरोध में भाजपा के एक मंत्री ने कैबिनेट बैठक का बहिष्कार कर दिया।
नीतीश ने धर्मनिरपेक्ष छवि के व्यक्ति को 2014 के लोकसभा चुनावों में राजग का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर एक अंग्रेजी समाचार पत्र के साथ इंटरव्यू में जो शर्त रखी उसे लेकर जदयू और भगवा पार्टी दोनों खेमों में बयानबाजी हुई। संकेत के तौर पर ही बातें कही गई। नीतीश के इस बयान से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनने के भाजपा के अभियान को झटका लगा है। इस बयान से आहत भाजपा के एक मंत्री गिरिराज सिंह ने एक प्रकार से नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वह नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए।
पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कुछ छदम धर्मनिरपेक्षवादी लोग इस प्रकार की बात कर रहे हैं। वे अपनी सहूलियत के अनुसार सेकुलरिज्म की बात कहते हैं। हालांकि गिरिराज ने खुलकर नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी बातों का संकेत मुख्यमंत्री की ओर ही था।
स्वयं नीतीश कुमार ने अपनी बात पर एक प्रकार से कायम रहते हुए शाम में संवाददाताओं से कहा कि गोल्डेन वर्डस आर नाट रिपिटेड। नीतीश कुमार ने बीते दिनों जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में भी कथित तौर पर सेकुलर छवि के व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की जोरदार ढंग से वकालत की थी।
नीतीश का कहना था कि जो बात निकल गयी सो निकल गयी। इसका समर्थन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण ने भी किया। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस संबंध में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर आक्रामक नहीं दिखे। मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सेकुलर छवि की बात कहते हुए नरेंद्र मोदी या किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया है। इसलिए मैं नाम लेकर टिप्पणी नहीं करुंगा। उन्होंने कहा कि राजग का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह उदारवादी छवि का हो और समाज में सभी की स्वीकार्यता वाला होना चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया है लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर उनका विरोध जगजाहिर है। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार 2010 के दौरान नीतीश के विरोध के चलते मोदी बिहार में नहीं आये। बीते दिनों बिहार की जातिवादी राजनीति पर गुजरात के मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर भी नीतीश ने कहा कि मोदी अपने राज्य के हालात देखे। बिहार पर टिप्पणी न करें।
पूरे सियासी नाटक में जदयू के विधान पाषर्द और नीतीश के विश्वासपात्र देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि जदयू को सांप्रदायिक छवि का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार स्वीकार नहीं है। भाजपा यदि इस प्रकार के उम्मीदवार पर कोई फैसला करती है तो जदयू किसी भी परिणाम की परवाह नहीं करेगा। जदयू अपनी सेकुलर विचारधारा को लेकर समझौता नहीं करेगा। हालांकि ठाकुर ने कहा कि नीतीश ने यह साफ कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं है।
ठाकुर ने कहा कि एक सांप्रदायिक व्यक्ति को जदयू प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। जदयू ने मुख्यमंत्री का पक्ष लेते हुए कहा है कि सेकुलर छवि के उम्मीदवार की बात बिल्कुल उचित है। वह अतीत में भी सेकुलर छवि के उम्मीदवार को लेकर अडिग थे और भविष्य में भी अडिग रहेंगे। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की बात को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं समझा गया है। उनकी बात को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की दरकार है।
जदयू और भाजपा के बीच मचे इस कोहराम में राजद के लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार से यह स्पष्ट करने को कहा कि राजग में कौन सेकुलर वह इस बात को स्पष्ट करे ? लालू ने कहा कि नीतीश कुमार तो स्वयं प्रधानमंत्री बनने की हसरत पाले हुए हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 19, 2012, 23:04