नोएडा रेप मामले में यूपी पुलिस की किरकिरी - Zee News हिंदी

नोएडा रेप मामले में यूपी पुलिस की किरकिरी




नोएडा : नोएडा में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई एक नाबालिग की पहचान उजागर करने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस सभी की आलोचनाओं के घेरे में आ गई है। इस मामले में पांचों आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद केन्द्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ ने इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है। बचाव की मुद्रा में आयी उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले की जांच का आदेश दे दिया है और उसका कहना है कि वह दोषी कर्मचारियों के खिलाफ ‘उचित विभागिय कार्रवाई’ करेगी।

 

महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा, पुलिस ने जैसा बर्ताव किया है वह गलत और खतरनाक है। मुझे लगता है कि उन्हें ऐसे मामलों के बारे में जानकारी होनी चाहिए तभी उन्हें बोलना चाहिए था.. एक पीड़िता की पहचान जाहिर करना बहुत गलत है। एनसीपीसीआर की अध्यक्ष शांता सिन्हा ने कहा, यह दंडनीय अपराध है और मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले से संबद्ध पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

 

10 दिनों के भीतर कार्रवाई हो: आयोग

 

दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने नोएडा में एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में नोएडा पुलिस की ओर से जारी विज्ञप्ति में पीड़िता का नाम, पिता का नाम और पते को सार्वजनिक किए जाने को गंभीरता से लिया है। उसने उत्तर प्रदेश प्रशासन से शहर के पुलिस अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 10 दिनों के भीतर जरूरी कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

 

बाल आयोग की ओर से सोमवार को इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने और पीड़िता के लिए हर जरूरी मदद देने की अनुशंसा की गई है।

 

दिल्ली और एनसीआर में सामूहिक बलात्कार की यह घटना 24 फरवरी को हुई थी। इसके बाद पुलिस ने कुछ युवकों की गिरफ्तारी की। पुलिस ने जब मामले पर मीडिया के लिए विज्ञप्ति जारी की तो उसमें 17 साल की पीड़िता का नाम, पिता का नाम और घर का पता जैसी निजी जानकारियां सार्वजनिक कर दीं।

 

बाल आयोग का कहना है कि नोएडा पुलिस ने आईपीसी की धारा 228 (ए) और बाल न्याय अधिनियम की धारा 21 का उल्लंघन किया है। इन दोनों धाराओं के तहत बलात्कार जैसे मामलों में पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने की मनाही है।

 

आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, मेरठ जोन के पुलिस महानिरीक्षक और गौतम बुद्धनगर के जिला अधिकारी जो पत्र भेजा है, उसमें नोएडा पुलिस के इस कदम को लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है। पत्र में आयोग ने जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने के साथ ही पीड़िता को जरूरी मदद मुहैया कराने, पूरी सुरक्षा देने तथा आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक से से मामले पर कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी है।

 

इससे पहले, आयोग की अध्यक्ष शांता सिन्हा ने एक बयान में कहा, नोएडा पुलिस ने पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करके बाल न्याय अधिनियम की धारा 21 का उल्लंघन किया है। ऐसे में राज्य सरकार को नोएडा के पुलिस अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। नोएडा में 10 वीं कक्षा की 17 वर्षीय एक छात्रा के साथ चलती कार में बलात्कार किए जाने के मामले में पांच युवकों की गिरफ्तारी की गई है।  (एजेंसी)

First Published: Monday, February 27, 2012, 21:15

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