Last Updated: Wednesday, July 31, 2013, 22:55
मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने आज एक फैसले में कहा कि पारिवारिक जीवन में पति पत्नी के बीच अक्सर होने वाली खटपट को हिंदू विवाह कानून के तहत क्रूरता नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने एक व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने परिवार अदालत के एक आदेश को चुनौती दी थी। परिवार अदालत ने तलाक मंजूर करने से इंकार कर दिया था।
अदालत की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एन पाल वसंत कुमार और न्यायमूर्ति पी देवदास ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जैसा दावा किया है, वैसा पत्नी की ओर से क्रूर व्यवहार के संबंध में कोई विशिष्ट एवं ठोस उदाहरण नहीं है। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ छोटे मोटे झगड़े हों।
वी. श्रवणकुमार नाम के एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रमुख गवाह ने अपने बयान में कहा कि याचिकाकर्ता तिल का ताड़ बना रहा है। न्यायाधीशों ने यह भी जिक्र किया कि याचिकाकर्ता पहले भी एक महिला से तलाक ले चुका है। अदालत ने कहा कि परस्पर सहमति वाले तलाक के मामलों में भी कानून के तहत प्रतीक्षा समय का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसकी पत्नी एक लाख रूपए लेकर परस्पर सहमति से तलाक लेने के लिए तैयार थी लेकिन आखिरी मौके पर वह पीछे हट गयी। अदालत ने कहा कि यह कानून नहीं है कि पत्नी ने परस्पर सहमति से तलाक के लिए याचिका पर दस्तखत कर दिया हो तो वह पीछे नहीं हट सकती। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 31, 2013, 22:55