पार्टी नेताओं की थाह लेने यूपी पहुंचे अमित शाह

पार्टी नेताओं की थाह लेने यूपी पहुंचे अमित शाह

पार्टी नेताओं की थाह लेने यूपी पहुंचे अमित शाहलखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में होने वाली रैलियों की तैयारियों का जायजा और सूबे के नेताओं की थाह लेने पार्टी प्रभारी अमित शाह मंगलवार को यहां पहुंचे। रैलियों को लेकर करीब दो घंटे तक चले मंथन में शाह और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का मूड भांपने की कोशिश की।

भाजपा सूत्रों की मानें तो बैठक के बाद प्रदेश नेतृत्व और राजधानी पहुंचे दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आने वाले दिनों में मोदी की रैलियों के माध्यम से पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर पैदा की जाएगी। प्रदेश सरकार के खिलाफ वैसे भी माहौल सही नहीं है और यही समय है जब मोदी की रैलियां असरदार साबित हो सकती हैं।

पार्टी की इस अहम बैठक में यह तय किया गया कि पूरे प्रदेश में मोदी की आठ रैलियां कराई जाएंगी और सबसे अंत में लखनऊ में कार्यकर्ता महाकुंभ के नाम पर ऐसा जमावड़ा किया जाएगा, जिससे भाजपा के पक्ष में माहौल बने।

बैठक की जानकारी देते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि रेवाड़ी, दिल्ली, भोपाल सहित दक्षिण भारत में भी मोदी की दो रैलियां आयोजित की गईं। हर जगह एक लाख से अधिक भीड़ एकत्र हुई। भोपाल में तो यह आंकड़ा सात लाख के आसपास पहुंच गया था।

नायडू यह बताने से भी नहीं चूके कि जब छोटे-छोटे राज्यों में मोदी को सुनने के लिए इतनी भारी भीड़ जमा हो सकती है तब उत्तर प्रदेश तो बहुत बड़ा राज्य है। पार्टी के लिए यहां संभावनाएं भी बहुत हैं। नायडू ने कहा कि यूपी राजनीतिक रूप से एक उपजाऊ जमीन है। यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं, इसलिए यहां पर अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा फोकस किया जाएगा।

नायडू ने बताया कि बैठक में यह मानकर चला गया कि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। यदि दिसंबर में चुनाव हुए तो 120 दिन और अप्रैल-मई में हुए तो अधिकतम 200 दिनों का समय है। इसलिए अब प्रचार अभियान में और तेजी लाई जाएगी। नायडू के मुताबिक, मोदी की रैलियों के अलावा भाजपा सोशल मीडिया पर ज्यादा फोकस करेगी। फेसबुक, ट्विटर, एसएमएस और ई-मेल के द्वारा लोगों तक पहुंच बनाने का प्रयास किया जाएगा। नायडू और शाह की मौजूदगी में उप्र में चुनावी अभियान का जो खांका खींचा गया, उससे एक बात साफ हो गई कि आने वाले छह महीनों तक राजनीतिक रूप से उपजाऊ कहा जाने वाला उप्र का माहौल काफी गरम रहेगा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 1, 2013, 19:38

comments powered by Disqus