Last Updated: Thursday, January 10, 2013, 20:52
मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि पीड़िता अगर अपने आरोपों से ‘मुकर’ जाती है तो भी बलात्कार के मामले को खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अपराध केवल व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि शासन के खिलाफ है।
एक अन्य मामले में मदुरै पीठ ने फैसला सुनाया कि बलात्कार के मामले को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि डीएनए जांच के नतीजे यह साबित नहीं कर पाते कि पीड़िता ने यौन अपराध के बाद जिस शिशु को जन्म दिया, अपराधी उसका जैविक पुत्र नहीं है।
न्यायमूर्ति टी. सुदंथिरम ने दो अलग अलग बलात्कार मामलों में आरोपियों की याचिकाओं पर ये आदेश सुनाए। अपने पहले आदेश में पांच आरोपियों की याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीश ने तिरूचिरापल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी खारिज करने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उन्होंने मामले को परस्पर सहमति से सुलझा लिया है। अदालत ने शिकायत दर्ज कराने वाली पीड़िता और उसकी महिला संबंधी के लिखित बयान पर आश्चर्य जताया जिसमें उन्होंने अभियोजन द्वारा आरोपित ऐसी किसी घटना के होने से ही इनकार कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 10, 2013, 20:52