Last Updated: Friday, July 6, 2012, 20:16
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय द्वारा मुल्लापेरियार बांध मसले पर बने पैनल ने केरल की नया बांध बनाने की मांग को मान लिया है। तमिलनाडु के साथ इस मसले में अदालती मामले का सामना कर रहे केरल राज्य के मुख्यमंत्री ओमान चांडी का कहना है कि वे इस बात को अदालत के संज्ञान में लेकर आएंगे।
चांडी ने केरल विधानसभा को बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने नए बांध का विचार स्वीकार लिया है। इस स्वीकृति के बारे में हम उच्चतम न्यायालय को सूचित करेंगे।
इस स्वीकृति के बारे में चांडी ने सदन को तब बताया जब प्रश्नकाल के दौरान जल संसाधन मंत्री पीजे जोसेफ ने पैनल की रिपोर्ट को केरल के खिलाफ बताया। जोसेफ ने कहा कि केरल नए बांध की अपनी मांग पर दृढ़ है।
जोसेफ का कहना था कि पैनल ने आईआईटी रूड़की के अध्ययनों को भी कुछ खास तवज्जो नहीं दी, जबकि उसमें बांध को असुरक्षित बताया गया था। इसकी बजाय उसने तमिलनाडु के अन्नामलाई विश्वविद्यालय के अध्ययन पर ध्यान दिया जिसमें बिल्कुल उल्टी बात कही गई थी।
एक ही सरकार में किसी मसले पर अलग-अलग राय को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री चांडी ने कहा कि हमें रिपोर्ट के सकारात्मक पक्षों को उजागर करना चाहिए, ताकि हम साथ मिलकर अपना लक्ष्य पा सकें। तमिलनाडु के लिए पानी और केरल के लिए सुरक्षा ही हमारी प्राथमिकता रही है। केरल की सुरक्षा का मतलब नया बांध ही है।
मुल्लापेरियार बांध मुद्दे पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने मई में अपनी रिपोर्ट जमा कराई थी। उन्होंने बांध की सुरक्षा के बारे में बताते हुए केरल सरकार को नया बांध बनाने के बारे में दोबारा विचार करने को कहा था।
मुल्लापेरियार बांध केरल के इडुकी जिले में स्थित है, लेकिन तमिलनाडु ने कई वर्षों तक इससे पानी लेने का प्रबंध किया था। केरल का कहना है कि 116 वर्ष पुराने इस बांध को सुरक्षा के लिहाज से नष्ट कर देना चाहिए। तमिलनाडु केरल के इस प्रस्ताव का विरोध करता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 6, 2012, 20:16