Last Updated: Wednesday, February 8, 2012, 03:53
ज़ी न्यूज ब्यूरो बेंगलूर : कर्नाटक में विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखते पकड़े गए भाजपा सरकार के तीन मंत्रियों ने परेशानी में पड़े पार्टी नेतृत्व के आदेश पर बुधवार को इस्तीफा दे दिया।
इस घटना के चलते नुकसान को रोकने के क्रम में पार्टी ने सहकारिता मंत्री लक्ष्मण सावदी और महिला एवं बाल विकास मंत्री सीसी पाटिल से इस्तीफा देने को कहा, जबकि बंदरगाह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्णा पालेमर को अपने इन सहकर्मियों को कथित तौर पर ब्लू फिल्म उपलब्ध कराने के लिए इस्तीफा देना पड़ा। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों मंत्रियों को कारण बताओ नोटिस भेजा है।
13 फरवरी तक उनसे जवाब मांगा गया है। इस मामले में जांच पूरी होने तक उनके सदन में आने पर रोक लगा दी गई है। कर्नाटक विधानसभा में मोबाइल फोन पर अश्लील सामग्री देखने के मामले में इस्तीफा दे चुके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मंत्रियों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी। विधानसभा अध्यक्ष के.जी. बोपैया ने बुधवार को यह घोषणा की।
सावदी और पाटिल कैमरे में उस समय पकड़े गए थे, जब वे विधानसभा की कार्यवाही के दौरान अश्लील वीडियो फुटेज देख रहे थे। इस घटना ने सदानंद गौड़ा सरकार और भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी तथा समूचे राज्य में निन्दा हुई। सावदी, पाटिल और पालेमर ने संवाददाताओं से कहा कि हम पार्टी एवं सरकार को और परेशानी में नहीं डालना चाहते। हम सबने इस्तीफा देने का फैसला किया है। हमने अपने त्याग पत्र मुख्यमंत्री को सौंप दिए हैं और उनसे इन्हें स्वीकार करने का आग्रह किया है। मंत्रियों को इस्तीफा देने का निर्देश दिए जाने से पहले भाजपा की एक बैठक हुई, जिसमें सदानंद गौड़ा, राज्य भाजपा प्रमुख केएस ईश्वरप्पा और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सहित शीर्ष नेता शामिल हुए।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक उस समय हुई जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने गौड़ा और ईश्वरप्पा को निर्देश दिए कि वे तीनों मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करें। अश्लील वीडियो कांड ने आज कर्नाटक विधानसभा को भी हिलाकर रख दिया, जहां विपक्षी कांग्रेस और जनता दल (एस) के सदस्यों ने इस घटना में शामिल तीनों पूर्व मंत्रियों को सदन से निलंबित करने और अयोग्य घोषित किए जाने तथा उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। विधानसभा जैसे ही बैठी, मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने सदस्यों को तीन मंत्रियों के इस्तीफों के बारे में सूचित किया जिन्हें राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने स्वीकार कर लिया है।
सावदी ने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष केजी बोपैया से घटना की जांच कराने का आग्रह करेंगे, ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। राज्य के विधायी इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व प्रकृति की है जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों ने इन मंत्रियों का इस्तीफा मांगा था और राज्य के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। भाजपा पर अपनी भृकुटि तानते हुए कांग्रेस ने मांग की कि तीनों मंत्रियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और विधानसभा अध्यक्ष को उन्हें निलंबित कर देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि आजकल ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के कुछ लोग हर तरह का मनोरंजन कर रहे हैं। कई बार राजनीतिक मनोरंजन, कई बार यह किसी और तरह का मनोरंजन होता है।
भाजपा ने कहा कि तीनों मंत्रियों से इस्तीफा लेकर उसने सार्वजनिक जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों और सत्यनिष्ठा का उदाहरण स्थापित किया है। गौड़ा ने कहा कि तीनों मंत्रियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए इस्तीफा दिया, जिससे कि विपक्ष घटना का इस्तेमाल सरकार को आगे नुकसान पहुंचाने के लिए भाजपा के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में नहीं कर पाए।
राज्य विधानसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष सिद्दारमैया ने कहा कि भाजपा में अनेक दागदार मंत्री हैं। वहां ऐसे लोग हैं जो भ्रष्टाचार के आरोपों और आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं । उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। लोगों के समक्ष जाना और फिर से जनादेश प्राप्त करना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव लाकर तीनों भाजपा नेताओं के निलंबन की मांग करेगी। वे विधानसभा सदस्यता से उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की मांग भी करेंगे। सावदी और पाटिल ने मीडिया पर आरोप लगाया कि वह घटना को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रही है।
पार्टी नेताओं की बैठक के बाद तीनों मंत्रियों ने खुद को ‘पार्टी का वफादार सैनिक’ करार दिया और कहा कि हम सरकार तथा पार्टी को और परेशानी में नहीं डालना चाहते, लेकिन हमने कोई अपराध नहीं किया है। दक्षिण में पहली भाजपा सरकार के इन तीन मंत्रियों के बाहर होने से पिछले चार साल में आरोपों के चलते मंत्री पद छोड़ने वालों की संख्या अब सात हो गई है।
अवैध खनन में लोकायुक्त की रिपोर्ट में नाम आने पर बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। पूर्व मंत्री एसएन कृष्णया शेट्टी को भूमि घोटाले के आरोपों में येदियुरप्पा मंत्रिमंडल से अलग होना पड़ा था। इसके बाद इसी आरोप में कट्टा सुब्रमण्यम नायडू को भी मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। बलात्कार के आरोप में एच हलप्पा को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। वर्तमान विवाद से गौड़ा मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या घटकर 24 रह गई और 10 मंत्री पद रिक्त हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 9, 2012, 10:44