Last Updated: Friday, September 16, 2011, 16:30
अहमदाबाद : अपने तीन दिवसीय उपवास की पूर्व संध्या पर मोदी ने कहा, ‘भारत का संविधान हमारे लिए सर्वोच्च है. प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते, किसी का भी दर्द मेरा अपना दर्द है. सभी को न्याय दिलाना प्रदेश का कर्तव्य है.’ मोदी के इस वक्तव्य को गोधरा दंगों के बाद पहली बार अफसोस की उनकी भावना के रूप में देखा जा रहा है.
मोदी अपने 62वें जन्मदिन के मौके पर प्रदेश की शांति, एकता और सद्भावना के लिए शनिवार से तीन दिवसीय उपवास शुरू कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है, ‘मुझे आशा है कि मेरे द्वारा शुरू किया गया सद्भावना अभियान आपके आशीर्वाद से सफल होगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरे मुख्यमंत्री काल के 10 साल के समय में मेरी गल्तियां मुझे बताईं.’ मोदी ने पत्र में कहा, ‘गुजरात में 2001 में भीषण भूकंप आया और प्रदेश 2002 में सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसा. हम कल्पना कर सकते हैं कि वे कितने बुरे दिन थे.’ उन्होंने कहा, ‘गुजरात उन काले दिनों से बाहर निकल गया और अब विकास के पथ पर अग्रसर है. शांति, एकता, समानता और भाईचारे का वातावरण ही गुजरात की प्रगति में इजाफा कर रहा है.’ मोदी ने कहा, ‘देश के इतिहास में यह देखने में आया है कि जातिवाद और सांप्रदायिक उन्माद के जहर ने कभी किसी की मदद नहीं की. गुजरात इस बात को समझ गया है. ऐसे विकारों से ऊपर उठ कर गुजरात ने विकास के पथ को चुना.’
देश के लोगों को लिखे एक पत्र में मोदी ने अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंचने का भी प्रयास किया है. इस पत्र में उन्होंने कहा कि प्रदेश इस बात को महसूस कर रहा है कि सांप्रदायिक उन्माद और जातीयता ने देश में किसी को भी विकास करने में मदद नहीं की है.
First Published: Friday, September 16, 2011, 22:28