Last Updated: Saturday, December 15, 2012, 11:34

लखनऊ : संसद में प्रस्तुत किए गए प्रोन्नति में आरक्षण सम्बंधी विधेयक को लेकर उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के बीच आपसी मतभेद बढ़ता जा रहा है। आरक्षण का विरोध कर रहे करीब 18 लाख शासकीय कर्मचारियों की हड़ताल शनिवार को तीसरे दिन भी जारी है, जिससे सरकारी कार्यालयों में कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के बैनर तले सरकारी कर्मचारियों ने शुक्रवार को राजधानी लखनऊ सहित सूबे के लगभग सभी जिलों में धरना प्रदर्शन किया। समिति के मुताबिक उनका प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहेगा। कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से राजधानी में लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, बिजली विभाग, निर्माण निगम, स्वास्थ्य भवन एवं अन्य प्रमुख कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप है। शनिवार को सचिवालय के कर्मचारी भी इस हड़ताल में शामिल हो गए।
विधेयक के विरोध में सरकारी कर्मचारी शुक्रवार सुबह से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। सूबे के गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, कानपुर आदी शहरों में कर्मचारियों ने तीसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रखा है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस विधेयक को वापस नहीं लिया तो आगे इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा और आपातकालीन सेवाओं को भी प्रदर्शन के दायरे में लाया जाएगा।
सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा, `सरकार ने यदि समय रहते इस विधेयक को वापस नहीं लिया तो आगामी लोकसभा चुनाव में उसे गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे। तीसरे दिन भी विधानसभा के अलावा राज्य के सभी प्रमुख शहरों में हड़ताल जारी रहेगी।`
विरोध कर रहे कर्मचारियों की यह मांग है कि पदोन्नति में आरक्षण सम्बंधी विधेयक को वापस लिया जाए। उनका कहना है कि जब तक इसे वापस नहीं लिया जाएगा तब तक हड़ताल जारी रहेगी। इस बीच पदोन्नति में आरक्षण का समर्थन कर रही आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने शुक्रवार को चार घंटे अधिक ड्यूटी की। उनका दावा है कि आंदोलन की वजह से सरकारी कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, December 15, 2012, 11:34