Last Updated: Friday, May 4, 2012, 13:18
मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार की अस्थिर वित्तीय स्थिति के कारण किसी पत्नी के बच्चा पैदा करने से इंकार करना तलाक का आधार नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति पीबी मजूमदार और न्यायमूर्ति अनूप मोहता की पीठ ने कहा, ‘खाना नहीं बनाना आता, पूजा पाठ नहीं करना, वेतन नहीं देना या कपड़े ठीक से तह करना नहीं आना जैसे कारण तलाक का आधार नहीं बन सकते क्योंकि ये क्रूरता के दायरे में नहीं आते।’ पीठ ने कल एक 30 वर्षीय व्यक्ति की परिवार अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। परिवार अदालत ने उस व्यक्ति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी।
पति रमेश सिनोय ने तलाक की अर्जी पेश करते हुए कहा कि उसकी पत्नी ने हनीमून के दौरान उसके साथ बिना कंडोम के यौन संबन्ध बनाने से इंकार कर दिया था जो क्रूरता है। उसने तलाक के लिए अन्य कई आधार भी बताए थे जिन्हें परिवार अदालत और हाईकोर्ट दोनों ने खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि आर्थिक अस्थिरता के कारण बच्चा पैदा करने से इंकार करना भी क्रूरता के दायरे में नहीं आता।
न्यायमूर्ति मजूमदार ने कहा कि आर्थिक स्थिरता आने से पहले मां बनने में उसने अनिच्छा जताई होगी। शायद वह बच्चे को एक बेहतर जिंदगी देना चाहती हो। न्यायमूर्ति मोहता ने कहा कि यह एक आपसी सहमति से लेने वाला निर्णय है। पति इसके लिए दबाव नहीं डाल सकता। अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि सिनोय ने पत्नी के रूप में एक कामकाजी स्नातक स्तर की महिला चाही थी जो संयुक्त परिवार में रह सके और घर के कामकाज कर सके।
न्यायमूर्ति मजूमदार ने कहा कि पत्नी कोई गुलाम नहीं होती। वह अर्धांगिनी मानी जाती है। उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने तलाक के लिए जो आधार बताए हैं उन्हें अगर उन्होंने क्रूरता के दायरे में मान लिया तो कोई भी विवाह सुरक्षित नहीं रह सकता।
(एजेंसी)
First Published: Friday, May 4, 2012, 18:48