Last Updated: Sunday, April 21, 2013, 19:50
गोपेश्वर : इस बार सर्दियों में बदरीनाथ धाम में हिमस्खलन होने से भारी नुकसान हुआ है, लेकिन विश्वप्रसिद्ध भगवान विष्णु का मंदिर आश्चर्यजनक रूप से पूरी तरह सुरक्षित है। बदरीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 16 मई को खुलने वाले हैं और उससे पहले वहां ग्लेशियर खिसकने से हुई क्षति का आंकलन करने और व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए गए श्री बदरीनाथ केदारनाथ समिति के एक दल ने यह जानकारी दी।
दल का नेतृत्व करने वाले समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि हिमस्खलन से मंदिर के आसपास स्थित कई मकान, धर्मशालाएं तथा अन्य सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि बिजली और पानी की लाइनों का कहीं पता नहीं चल रहा है। बिजली के ट्रांसफार्मर हिमस्खलन के मलबे के साथ अलकनंदा नदी में समा गए हैं। हिमस्खलन से हुई भारी क्षति के बारे में सिंह ने कहा कि मंदिर को आश्चर्यजनक ढंग से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और वह पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन तीर्थयात्रियों की प्रतीक्षा के लिए बनाए गए टिनशेड भी अलकनंदा नदी में चल गए हैं।
जानकारों का मानना है कि बदरीनाथ में जब भी हिमस्खलन की घटना हुई है तो मंदिर हमेशा सुरक्षित रहा है और इसके पीछे मंदिर की बनावट को श्रेय दिया जाता है। बदरीनाथ मंदिर जहां बनाया गया है उसके ठीक ऊपर की पहाड़ी अंग्रेजी के अक्षर ‘टी’ के आकार में कटी है, जिससे मंदिर की ओर आने वाले ग्लेशियरों की दिशा बदल जाती है। मंदिर की इस विशिष्ट बनावट को राज्य सरकार द्वारा 1974 में गठित पुरातत्वविदों की एक समिति ने भी इसे ग्लेशियरों से सुरक्षा का महत्वपूर्ण कवच बताया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 21, 2013, 19:50