Last Updated: Friday, January 18, 2013, 12:08
दिनेश सिंहसंगम (इलाहाबाद) : हर 12 साल बाद पवित्र नदियों के किनारे चार स्थानों में लगने वाले महाकुंभ धर्म और अध्यात्म के प्रचार प्रसार का साधन माने जाते थे लेकिन बदलते दौर में महाकुंभ के सरोकार भी बदल गए है । इसकी नई तस्वीर देखने को मिल रही इलाहाबद में महाकुंभ में । इस बार महाकुंभ में नशा मुक्ति,पर्यावरण संरक्षण और भ्रूण ह्त्या और नारी सुरक्षा जैसे मसलों पर साधु-संतो ने अपने प्रवचनों का अहम हिस्सा बना लिया है। धर्म और अध्यात्म के साथ सामजिक सरोकार का महाकुंभ का यह नया चेहरा वर्तमान की सामाजिक चुनौतियों से जुड़े होने की वजह से यहां पहुंच रहे श्रद्धालुओं को भी काफी रास आ रहा है ।
एक तरफ प्रवचन पंडालो में यहां चिंता नजर आ रही है तो नारी शक्ति की रक्षा की,भ्रूण ह्त्या को रोकने की,नशा से समाज को मुक्त करने की,पर्यावरण को बचाने के भी सुर सुनाई पड़ रहे हैं। राम नाम के साथ समाज की समकालीन चुनौतियों के इस सरोकार के बड़ी वजह 16 दिसंबर को दिल्ली में घटी वह दिल दहलाने वाली गैंगरेप की शर्मनाक वारदात है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।
जय राम आश्रम की तरह ही अखिल भारतीय सेन भक्ति पीठ के शिविर में भी राम और कृष्ण के नाम के साथ ही टूटते संयुक्त परिवारों की त्रासदी,पर्यावरण और सामाजिक चिंता का दर्द सुनाई पड़ रहा है ।
महाकुंभ में खास ग्रह-नक्षत्रों के संयोग में नदियों में स्नान और पूजा का अनुष्ठान मात्र नहीं है बल्कि बल्कि देश सौर समाज की चिंता का चिंतन मनन का मौका भी माना गया है । यह अच्छी बात है कि महाकुंभ की आस्था के बीच यहां वैसे मुद्दे भी गूंज रहे हैं ।
First Published: Friday, January 18, 2013, 12:08