Last Updated: Saturday, June 9, 2012, 23:00
पटना : बिहार के विभिन्न हिस्सों के बच्चों में रहस्यमय बीमारी (एक्यूट इनसेफेलापैथी सिंड्रोम) के कारण मई से अबतक 85 मरीजों की मौत हो चुकी है। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि मुजफ्फरपुर के दो अस्पतालों में तिरहुत क्षेत्र और कोसी क्षेत्र के बच्चों की मौत हुई है जबकि गया में गया तथा आसपास के जिलों तथा झारखंड के चतरा के बच्चों की मौत हुई है। वहीं पटना में दो अस्पतालों में राज्य के 21 जिलों के मामले शामिल हैं।
राज्य में एक्यूट इनसेफेलापैथी सिंड्रोम (एइएस) या रहस्यमय बीमारी के 197 से अधिक मामलों में अबतक 85 बच्चों की मौत हो चुकी है। सरकार ने लू, सेरेब्रल मलेरिया, मेनिनजाइटिस, टीबी मेनिनजाइटिस, न्यूरोसिस्टीसरकोसिस, पायोजेनिक मेनिनजाइटिस सहित 17 बीमारियों या दिमागी बुखार से मिलते जुलते लक्षणों के नाम को एइएस रखा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पटना के पटना मेडिकल कालेज अस्पताल तथा नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल में सात जून तक एइएस के 89 मामलों में से 35 बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर के केजरीवाल चैरिटेबल अस्पताल तथा एसकेएमसीएच में सबसे अधिक 40 बच्चों की मौत हुयी है। केजरीवाल अस्पताल में 11 और एसकेएमसीएच में आठ बच्चों का इलाज चल रहा है।
गया स्थित अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज (एएनएमसीएच) के 27 से अधिक मामलों में 10 बच्चों की जान जा चुकी है। गया स्थित एएनएमसीएच अस्पताल के अधीक्षक सीताराम प्रसाद ने बताया कि 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। दो बच्चों में जापानी इनसेफलाइटिस के मामले पाये गये थे लेकिन उनका इलाज चल रहा है।
पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डा एके वर्णवाल ने बताया कि एइएस के लक्षण के बच्चे सालों भर अस्पताल में आते रहते हैं। गर्मी के समय में बच्चों की संख्या अधिक हो जाती है। तेज बुखार और शरीर में ऐंठन (कन्वल्सन) के शिकार बच्चों को अस्पताल लाते लाते देर हो जाती है जिसके चलते उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने कल कहा था कि बारिश होने के बाद पीड़ित बच्चों की संख्या और मौत के मामलों में तेजी से कमी आयेगी। औरंगाबाद और गया से वायरस जनित जापानी मस्तिष्क ज्वर के मामले आने के बाद उन क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा राज्य के दो अन्य मेडिकल कालेज अस्पतालों भागलपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कालेज अस्पताल और दरभंगा के दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल में एइएस का कोई मामला नहीं आया है।
सिन्हा ने कहा है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से मुजफ्फरपुर और गया में एइएस के मामले में स्थायी अनुसंधान केंद्र खोले जायेंगे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 9, 2012, 23:00