Last Updated: Wednesday, March 7, 2012, 08:59
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की 16वीं विधानसभा के चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी बुंदेलखंडियों का दिल नहीं जीत सकी और वहां बहुजन समाज पार्टी का दबदबा कायम रहा। बुंदेलखण्ड की 19 विधानसभा सीटों के नतीजों पर नजर डालें तो उनमें से सात पर बसपा ने कब्जा किया है जबकि प्रदेश की 403 में से 224 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल करने वाली सपा का जादू इस अंचल में नहीं चला और उसे सिर्फ पांच सीटों पर ही जीत मिल सकी।
भाजपा ने बुंदेलखण्ड में जातीय समीकरण साधने के लिए उमा भारती को उतारकर और ‘दागी’ बाबू सिंह कुशवाहा को बगलगीर बनाकर जो दांव खेला उससे इस अंचल में पार्टी का खाता तो खुला मगर आंकड़ा तीन सीटों से आगे नहीं बढ़ पाया।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की ‘पानी के लिये तरसते’ इस अंचल में लगभग तीन-चार वर्षों की सक्रियता और सात हजार करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का असर तो दिखा और उसकी सीटें दोगुनी भी हुईं मगर पार्टी चार सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही। अभिनय के क्षेत्र से राजनीति के मैदान में भाग्य आजमाने उतरे राजा बुंदेला ने पहली बार इलाके के विकास के लिए पृथक बुंदेलखण्ड का नारा दिया और ‘बुंदेलखण्ड कांग्रेस’ के नाम से पार्टी बनाकर चुनाव भी लड़ा लेकिन उनकी यह कोशिश मतदाताओं का अपेक्षित समर्थन पाने में विफल रही और सभी 19 सीटों पर उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा।
ददुआ, निर्भय गुर्जर और ठोकिया जैसे तमाम ‘डकैतों’ के ‘प्रताप’ से संचालित होती रही राजनीति वाले इस इस अचंल में नए परिसीमन के बाद बसपा के कब्जे वाली कोंच तथा मौदहा सीटें समाप्त हो गई हैं, जिसके चलते इस बार क्षेत्र में सीटों की संख्या घटकर 19 रह गई है।
पिछले चुनाव में बसपा को बबेरू, नरैनी, चित्रकूट, माणिकपुर, माधौगढ़, कालपी, कोंच (नये परिसीमन में समाप्त हुई), बबीना, झांसी नगर, मउरानीपुर, ललितपुर, महरौनी, राठ, मौदहा, (नये परिसीमन में खत्म), महोबा तथा चरखारी सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी। दूसरी ओर सपा के हाथ सिर्फ तीन सीटें तिंदवारी, हमीरपुर तथा गरौठा ही लगी थीं जबकि कांग्रेस को बांदा तथा उरई सीट पर सफलता प्राप्त हुई थी।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 7, 2012, 14:29