Last Updated: Tuesday, October 1, 2013, 11:12
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुत्री से बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को एक निचली अदालत द्वारा सुनायी गई आजीवन कारवास की सजा का यह कहते हुए बरकरार रखा कि उसने दरिंदे की तरह कृत्य किया और वह कोई भी दया का पात्र नहीं है।
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर के नेतृत्व वाली एक पीछ ने शाहदरा निवासी एक व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है और अपीलकर्ता इस अदालत से किसी भी दया का पात्र नहीं है।
अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ निचली अदालत के 10 अक्तूबर 2010 के आदेश और निष्कषरें को बरकरार रखा और कहा, एक बच्चा अपने पिता के हाथों में सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करता है लेकिन दोषी ने इस मामले में दरिंदे की तरह कार्य किया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 1, 2013, 11:12