बैंक घोटाला: रमन सिंह और उनके मंत्रियों ने लिए करोड़ों रुपए घूस!

बैंक घोटाला: रमन सिंह और उनके मंत्रियों ने लिए करोड़ों रुपए घूस!

बैंक घोटाला: रमन सिंह और उनके मंत्रियों ने लिए करोड़ों रुपए घूस! ज़ी मीडिया ब्यूरो
रायपुर: छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाए गए हैं। कांग्रेस ने कल (शनिवार को) इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड (इंदिरा बैंक) घोटाले में रमन सिंह के हाथ होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने घोटाले के प्रमुख अभियुक्त उमेश सिन्हा के नारको टेस्ट की वीडियो सीडी जारी करके प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी। सीडी में उमेश सिन्हा कह रहा है कि उसने घोटाले की रकम में से करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके मंत्री रामविचार नेताम, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सहित अन्य अधिकारियों को दिए हैं।

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश महासचिव भूपेश बघेल और प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मामले में आरोपी मुख्यमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। शनिवार को कांग्रेस भवन में नारको और ब्रेन मैपिंग टेस्ट की सीडी का प्रोजेक्टर पर प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही कांग्रेस ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। भूपेश बघेल का कहना है कि उनके हाथ लगी सीडी ओरिजनल है। जिस व्यक्ति ने सीडी दी है, सुरक्षा कारणों से वे उसके नाम का खुलासा नहीं कर सकते हैं।

इंदिरा प्रियदर्शिनी सहकारी बैंक में वर्ष 2003 से लेकर 2006 को बीच 53 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ था। इसकी वजह से बैंक बंद हो गया था। इस मामले में प्रमुख अभियुक्त तत्कालीन बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा सहित बैंक संचालक मंडल के कई सदस्यों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था। बाद में अदालत के आदेश पर उमेश सिन्हा का बेंगलूरू में नारको टेस्ट कराया गया था। आरोप है कि इस टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद भी पुलिस एवं जांचकर्ता अधिकारी ने इसे अदालत में पेश नहीं किया।

सीडी जारी होते ही खलबली मची तो पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जीपी सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इसमें पुलिस ने स्वीकार किया है कि नारको टेस्ट की सीडी में मुख्यमंत्री रमन सिंह, मंत्री रामविचार नेताम, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत एवं तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ओपी राठौर को रुपए देने का उल्लेख है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में आईजी ने कहा, इस सीडी को हमने सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश नहीं किया है।

सीडी जारी होने के ठीक बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता और राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन कर इस सीडी की सचाई पर सवाल खडा कर दिया और कहा कि यह कांग्रेस की पुरानी आदत है कि वह असत्य बातों को सीडी के माध्यम से लाकर सत्य बताने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नारको टेस्ट करने वाली महिला डॉक्टर को एक अन्य मामले में बर्खास्त करवा दिया है। इससे इस सीडी की सत्यतता पर भी सवाल उठता है। अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह कार्य कर रही है लेकिन राज्य की जनता आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।

अग्रवाल ने कहा कि जिस सीडी के बारे में कांग्रेस प्रचार कर रही है वह कुछ साल पहले ही आ चुकी थी। पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान आरोपी मैनेजर उमेश सिन्हा और संचालक मंडल के बयानों में सामंजस्य नहीं था। उधर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस खुलासे के बाद मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए तथा पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के पुत्र दिनेश पटेल ने 23 मई को एक एसएमएस भेजा था जिसमें 15 जून को एक बड़ा खुलासा होने की बात कही गई थी। एसएमएस में कहा गया था कि खुलासे के बाद मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों का इस्तीफा निश्चित है।

बघेल और त्रिवेदी ने कहा कि दिनेश पटेल का एसएमएस और झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं पर हमले की घटना के बाद कांग्रेस ने अपने स्तर पर मामले की छानबीन की तब किसी व्यक्ति से जिनका सुरक्षा कारणों से नाम नहीं लिया जा रहा है, से यह सीडी मिली थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जानकारी मिली है कि पुलिस ने उमेश सिन्हा की नारको टेस्ट रिपोर्ट को अभी तक अदालत में पेश नहीं किया हैं और मामला लंबित है। उन्होंने चुनौती दी कि यदि भाजपा सरकार को सीडी के संबंध में कोई भी शक है तो वह इसकी जांच करा सकती है।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने भी इसे सरकार को बदनाम करने की साजिश कहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि इस मामले को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है।

कांग्रेस द्वारा जारी नारको टेस्ट की वीडियो सीडी की वैधता के बारे में बेंगलूरू स्थित फोरेंसिक साइंस लैब से सम्पर्क किया गया तो वहां से इतना ही कहा गया कि सीडी को जांचने के बाद ही उसकी वैधता के बारे में कुछ कहा जा सकता है।

इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक सदर बाजार रायपुर में संचालित एक सहकारी बैंक था। कई वर्ष संचालन के बाद 2 जुलाई 2006 को इसका कारोबार बंद कर दिया गया। वजह यह थी कि बैंक में 54 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। लेकिन, इससे पहले बैंक में जो कुछ हुआ वह एक गंभीर आर्थिक घोटाला, आपराधिक षड्यंत्र और हजारों गरीब और मध्यमवर्गीय खातेदारों से धोखाधड़ी की सनसनीखेज कहानी है। बैंक में गड़बड़ी की जानकारी सबसे पहले 3 अक्टूबर 2007 को उस समय सामने आई जब ऑडिट किया गया। ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि इस बैंक में 2003 से 2006 के बीच कई मदों में जमा राशि सहित 25716 खातेदारों द्वारा जमा की गई 54 करोड़ 38 लाख से अधिक की राशि का घोटाला कर लिया गया है। गबन के कारण बैंक की भुगतान क्षमता समाप्त हो गई। इसके बाद आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया।


First Published: Sunday, July 21, 2013, 10:06

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